1. डाक्यूमेंट का फिजिकल वेरिफिकेशन जरूरी नहीं- गाड़ी से जुड़े जरूरी दस्तावेजों को हमेशा साथ रखने के नियम में आज से कुछ जरुरी किए हैं. सरकार ने डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, 1989 में संशोधन किए हैं. अब गाड़ी की आरसी, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेजों की मूल कॉपी साथ रखना जरूरी नहीं होगा. इनकी डिजिटल प्रतियों को दिखाकर ही काम हो जाएगा. इसके अलावा ई-चालान भी सरकार के डिजिटल पोर्टल पर मुहैया कराए जाएंगे ताकि नियमों का उल्लंघन करने वाले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकें.
2. अगर ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने की जरूरत पड़ी तो क्या होगा?– अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है, जहां नियमों में उल्लंघन की स्थिति में किसी ड्राइवर का लाइसेंस कैंसिल करने की नौबत आती है तो अथॉरिटीज को इस बारे में डिजिटल पोर्टल पर रिपोर्ट करना होगा. इसके बाद पोर्टल पर जानकारी अपडेट कर दी जाएगी. यहां ड्र्राईवर और वाहन संबंधी सभी रिपोर्ट क्रमबद्ध होगा.
3. नियम तोड़ने वालों का बचना मुश्किल- नियम तोड़ने वाले लोगों का रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिकली मेंटेन किया जाएगा. इसके अलावा अथॉरिटीज की ओर से ड्राइवर के व्यवहार की भी मॉनिटरिंग की जाएगी. यही नहीं इंस्पेक्शन की टाइम स्टांप और वर्दी में मौजूद पुलिस अधिकारी की तस्वीर भी पोर्टल पर अपलोड रहेगी. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि गैरजरूरी चेकिंग को खत्म किया जा सके और ड्राइवरों का उत्पीड़न न हो.
4. आप अपने संबंधित डॉक्युमेंट्स कहां स्टोर कर सकेंगे?- ड्राईवर्स अपने वाहन संबंधित डॉक्युमेंट्स को केंद्र सरकार की ऑनलाइन पोर्टल पर स्टोर कर सकते हैं, जैसे – Digi-locker या m-parivahan. अब उन्हें अनिवार्य रूप से अपने डॉक्युमेंट्स वाहन के साथ रखकर नहीं चलना पड़ेगा.
5. इस्तेमाल कर सकेंगे मोबाइल फोन- मंत्रालय ने ड्र्राईविंग के दौरान मोबाइल फोन्स के इस्तेमाल करने के नियमों में भी संशोधन किया है. ड्राईविंग के दौरान मोबाइल फोन्स या अन्य हैंडहेल्ड डिवाईस का इस्तेमाल केवल रूट नैविगेशन के लिए ही किया जा सकता है. साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा रूट नैविगेशन के समय पूरा ध्यान ड्राईविंग पर ही हो. इसके अलावा फोन का इस्तेमाल करने पर जुर्माना देना पड़ सकता है. यह भी साफ किया गया कि ड्राइविंग के दौरान फोन पर बात करते हुए पकड़े जाने पर 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक का फाइन लग सकता है.