EMI Moratorium: क्या लोन लोन मोरेटोरियम की सुविधा लेने वाले ग्राहकों को ब्याज पर ब्याज देने से राहत मिल सकती है. फिलहाल आज भी इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो पाया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई को 5 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया. केंद्र सरकार ने कोर्ट से 3 दिन का और समय मांगा है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम की अवधि को 5 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है.
केंद्र ने कहा कि वह इस मामले में RBI से बातचीत कर रही है और बहुत जल्द कोई समाधान निकलेगा. बता दें कि RBI ने मार्च में लोन मोरटोरियम 3 महीने के लिए शुरू किया था, जिसे बाद और 3 महीने के लिए बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान उसे 28 सितंबर तक और अब 5 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है. असल में मोरेटोरियम पीरियड के लिए ब्याज पर ब्याज लेने का जो प्रावधान है, उस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
क्या है दिक्कत
असल में लॉकडाउन के चलते आरबीआई ने उन ग्राहकों को लोन मोरेटोरियम की सुविधा दी थी, जो आमदनी घटने की वजह से समय से ईएमआई चुकाने में असमर्थ थे. यह सुविधा मार्च से अगस्त तक रही. यह सिर्फ फौरी तौर पर ही राहत था, क्योंकि यह सिर्फ ईएमआई को टालने का विकल्प था. लेकिन ग्राहकों को झटके वाली बात यह रही कि जितने दिन के लिए उन्होंने मोरेटोरियम लिया है, उस दौरान ईएमआई के बनने वाले ब्याज पर आगे बैंक ब्याज लेंगे.
इस मामले में कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि अगर सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए यह सुविधा दी है तो फिर ग्राहकों को ब्याज पर ब्याज क्यों देना पड़ रहा है. जिन ग्रोहकों ने ईएमआई को टाला था, अब उनकी ईएमआई बढ़कर आ रही है. उनसे कंपाउंडिंग इंट्रेस्ट लिया जा रहा है. फिर इस सुविधा का क्या फायदा है.
आज कोर्ट में क्या हुआ
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं ले पाया है. ऐसे में उसे और समय चाहिए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि सरकार RBI से इस मामले पर बातचीत कर रही है. जल्द ही निर्णय लिया जाएगा. बता दें कि केंद्र सरकार ने ब्याज पर ब्याज माफी का विरोध किया है. सरकार का कहना है कि ब्याज माफी दी जाती है तो इससे बैंक कमजोर होंगे.