नई दिल्ली. बैंक ग्राहकों (Bank Customers) के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए बैंकिंग रेगुलेशन बिल (Banking Regulation Amendment Bill 2020) को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है. इस नए कानून के तहत देश के सहकारी बैंक आरबीआई के सुपरविजन में काम करेंगे. केंद्र सरकार का कहना है कि नए कानून से सहकारी बैंकों (Cooperative Banks) को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के दायरे में लाया जाएगा. इससे बैंक में लोगों के जमा पैसों की सुरक्षा की जा सकेगी. देश में सहकारी बैंकों की लगातार बिगड़ती वित्तीय सेहत और गड़बड़ी के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट, 1949 में संशोधन का फैसला लिया था.
अब क्या होगा- इससे पहले केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के तहत लाने के लिए जून में एक अध्यादेश जारी किया था. अब नया कानून इस अध्यादेश की जगह लेगा. अब देश के 1,482 अर्बन और 58 मल्टीस्टेट कॉपरेटिव बैंक आरबीआई के तहत आएंगे. इस एक्ट के जरिए आरबीआई के पास यह ताकत होगी कि वह किसी भी बैंक के पुनर्गठन या विलय का फैसला ले सकते हैं.
इसके लिए उसे बैंकिंग ट्रांजेक्शंस को मोरेटोरियम में रखने की जरूरत भी नहीं होगी. इसके अलावा आरबीआी यदि बैंक पर मोरेटोरियम लागू करते हैं तो फिर कॉपरेटिव बैंक कोई लोन जारी नहीं कर सकते और न ही जमा पूंजी का कोई निवेश कर सकते हैं.
जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए बैंक किसी भी मल्टीस्टेट कॉपरेटिव बैंक के निदेशक बोर्ड को भंग कर सकता है और कमान अपने हाथ में ले सकता है. यही नहीं आरबीआई यदि चाहे तो इन बैंकों को इस नियम से अलग कुछ छूट नोटिफिकेशन जारी करके दे सकता है. यह छूट नौकरियों, बोर्ड निदेशकों की योग्यता के नियम और चेयरमैन की नियुक्ति जैसे मामलों में दी जा सकती है.
डिपॉजिटर्स की 5 लाख रुपये तक की रकम रहेगी सुरक्षित-बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन का फैसला ग्राहकों के हित में है. अगर अब कोई बैंक डिफॉल्ट करता है तो बैंक में जमा 5 लाख रुपये तक की राशि पूरी तरह से सुरक्षित है. वित्त मंत्री ने एक फरवरी 2020 को पेश बजट में ही इसे 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था.
ऐसे में अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है तो उसके डिपॉजिटर्स को अधिकतम 5 लाख रुपये मिलेंगे, चाहे उनके खाते में कितनी भी रकम हो. आरबीआई की सब्सिडियरी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के मुताबिक, बीमा का मतलब है कि जमा राशि कितनी भी हो ग्राहकों को 5 लाख रुपये ही मिलेंगे.
बैंक डूबने पर डीआईसीजीसी करेगा डिपॉजिटर्स को भुगतान-डीआईसीजीसी एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के प्रावधानों के तहत, अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो कॉरपोरेशन हर जमाकर्ता को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है.
उसकी जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होता है. आपका एक ही बैंक की कई ब्रांच में खाता है तो सभी खातों में जमा पैसे और ब्याज को जोड़ा जाएगा.
इसके बाद केवल 5 लाख तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा. अगर आपके किसी बैंक में एक से अधिक अकाउंट और FD हैं तो भी बैंक के डिफॉल्ट होने या डूबने के बाद 5 लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है.