कर्जदाता लोन देते समय क्रेडिट स्कोर को देखते हैं. वे अलग-अलग ब्याज दरें और लोन की अवधि आपके क्रेडिट स्कोर के आधार पर ऑफर करते हैं. धीरे-धीरे, यह नियुक्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है. जहां ज्यादा क्रेडिट स्कोर होने से आपके लोन लेने के मौके बढ़ते हैं, इसके साथ ऐसे दूसरे महत्वपूर्ण मापदंड भी मौजूद हैं, जो कर्जदाता द्वारा धारक के आवेदन का आकलन करते समय काम आते हैं.
कर्जधारक की उम्र
कर्जदाता लोन लेने वाले व्यक्ति की योग्यता का आकलन करते समय वर्तमान उम्र के साथ उसकी लोन की अवधि के आखिर पर उम्र को भी देखता है. जो लोग अधिकतम और न्यूनतम उम्र के ब्रैकट में नहीं आते, उन्हें सामान्य तौर पर लोन मना कर दिया जाता है. सामान्य तौर पर जो आवेदक रिटायरमेंट के करीब हैं, उन्हें अक्सर अपनी क्रेडिट ऐप्लीकेशन की मंजूरी लेने में मुश्किल आती है क्योंकि कर्जधारक सामान्य तौर पर व्यक्ति के रिटायर होने तक लोन के पुनर्भुगतान केा समय पूरा होने को प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में आप अपनी लोन योग्यता और मंजूरी की उम्मीद को बढ़ाने के लिए एक को-ऐप्लीकेंट जोड़ सकते हैं.
न्यूनतम आय योग्यता
कर्जधारक को लोन देने में मुश्किल हो सकती है, अगर व्यक्ति कर्जधारक द्वारा तय की गई न्यूनतम आय के मापदंड को पूरा नहीं करता है. न्यूनतम आय की जरूरत को कर्जधारक की भौगोलिक स्थिति के आधार पर पता लगाया जाता है जो मेट्रो, शहरी, सेमी-अर्बन और ग्रामीण होती है.
जॉब प्रोफाइल और स्थिरता
आपकी आय के अलावा कर्जदाता आपकी नौकरी किस तरह की है, नौकरी की स्थिरता और आपके नियोक्ता की प्रोफाइल को भी देखते हैं. उदाहरण के लिए, कर्जदाता सरकारी, कॉरपोरेट या MNC कर्मचारियों को लोन देने में ज्याजा सहज रहते हैं. उन्हें कम जानने वाली या ज्यादा जोखिम वाली कंपनियों के कर्मचारियों के मामले में मुश्किल होती है. इसके साथ जिन आवेदकों की जॉब प्रोफाइल खतरनाक है, उनके लोन की मंजूरी की भी संभावना कम है. इसके अलावा जो बार-बार नौकरी बदलता है, उसे भी मुश्किल हो सकती है.
ज्यादा FOIR
फिक्स्ड ऑबलिगेशन टू इनकम रेश्यो (FOIR) का मतलब कुल आय का वह अनुपात है, जो कर्ज के पुनर्भुगतान जैसे लोन ईएमआई, क्रेडिट कार्ड बकाया आदि पर खर्च किया जा रहा है. कर्जदाता सामान्य तौर पर उन आवेदकों को प्राथमिकता देते हैं जिनका FOIR 40 फीसदी से 50 फीसदी के बीच रहता है. इससे ज्यादा होने पर लोन ऐप्लीकेशन को रिजेक्ट किया जा सकता है.
लोन गारंटर होने से पहले रिसर्च नहीं करना
किसी व्यक्ति के लोन का गारंटर बनने से आप उसके पुनर्भुगतान के लिए समान तौर पर जिम्मेदार बन जाते हैं. प्राइमेरी कर्जधारक के डिफॉल्ट करने पर बकाया का पुनर्भुगतान की जिम्मेदारी आपकी हो जाएगी. इसलिए लोन गारंटर बनने से पहले अपनी शॉर्ट और मिड टर्म वित्तीय जरूरत को देख लेना जरूरी होता है.