FINANCE

दो और सरकारी बैंकों ने भी कर्ज किया सस्ता, चेक कर लें अपने होम लोन की नई EMI

क्रेडिट डिमांड में कमी को देखते हुए बैंक अब कर्ज सस्ता कर रहे हैं. सरकारी क्षेत्र के दो और बैंकों ने अब उधारी दरों में कटौती का फैसला किया है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक ने चुनिंदा अवधि की MCLR में 5 आधार अंक की कटौती की है. इससे न केवल नया कर्ज सस्ता होगा बल्कि मौजूदा ग्राहकों के होम लोन, ऑटो लोन की EMI भी कम हो जाएगी. इसी हफ्ते सरकारी क्षेत्र के दो बैंकों, बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) और इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) ने भी अपने चुनिंदा अवधि की MCLR में 0.10 फीसदी तक कटौती की थी.

सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने फंड की सीमांत लागत आधारित ऋण ब्याज दर (MCLR) में 0.05 फीसदी की कटौती की है. नई दरें शुक्रवार से प्रभावी होंगी. बैंक ने एक बयान में कहा कि एक वर्ष की अवधि वाले ऋण पर एमसीएलआर 7.25 फीसदी से घटाकर 7.20 फीसदी कर दिया गया हैत्र

यूको बैंक का भी कर्ज सस्ता

सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक ने कर्जों पर कोष की सीमांत लागत आधारित प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर (MCLR) में बृहस्पतिवार से 0.05 अंक कम कर दी. बैंक ने एक बयान में कहा कि इसके बाद एक साल का एमसीएलआर 7.40 फीसदी से घटकर 7.35 फीसदी हो गई है. यह कटौती अन्य सभी अवधि के कर्ज पर भी समान रूप से लागू होगी.

क्या है MCLR?

बैंकों द्वारा MCLR बढ़ाए या घटाए जाने का असर नए लोन लेने वालों के अलावा उन ग्राहकों पर पड़ता है, जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद लोन लिया हो. दरअसल अप्रैल 2016 से पहले रिजर्व बैंक द्वारा लोन देने के लिए तय मिनिमम रेट बेस रेट कहलाती थी. यानी बैंक इससे कम दर पर कस्टमर्स को लोन नहीं दे सकते थे. 1 अप्रैल 2016 से बैंकिंग सिस्टम में MCLR लागू हो गया और यह लोन के लिए मिनिमम दर बन गई. अब बैंकों ने एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट को नया मानक बनाया है. यानी, एसबीआई समेत सभी बैंक नए मानक पर लोन दे रहे हैं.

बता दें, एमसीएलआर होम लोन में रीसेट पीरियड 12 महीने का होता है जबकि कई बैंक 6 महीने का रीसेट पीरियड भी उपलब्ध कराते हैं. जब लोन की अवधि 6 महीने या 1 साल पूरी करती है बैंक के एमसीएलआर के हिसाब से EMI में बदलाव किए हैं. आमतौर पर RBI हर 6 महीने में रेपो रेट पर निर्णय लेता है. इसलिए रेपो रेट में किसी भी तरह के बदलाव तुरंत असर होम लोन पर नहीं पड़ता है. टाइम लैग के कारण इन्हें 1 साल के लिए फिक्स लोन कहा जा सकता है.

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