नई दिल्ली. अचानक बीएमसी बहुत कर्तव्यनिष्ठ हो गई है और चुन-चुन कर अवैध निर्माण गिरा रही है. मुंबई की सड़कों के गड्ढों की बात न करें, मुंबई में हर सड़क और चौराहे पर अवैध निर्माण और कब्जे को भी छोड़ दें – बात सिर्फ उन अवैध निर्माण या कब्जों की करें जो बड़े लोगों की गाढ़ी या काली कमाई का हिस्सा हैं, तब तो सवाल इस मातोश्री-2 पर भी उठ सकते हैं.
बांद्रा ईस्ट के कालानगर इलाके में
शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे अपनी राजनीति और विवादास्पद गतिविधियों के बीच भी समय निकाल कर अपना नए भवन के निर्माण-कार्य पूरा कराया है. और यह नया घर अर्थात मातोश्री-2 भी बांद्रा में ही उनके प्रथम निवास मातोश्री से कुछ ही दूरी पर कलानगर में बन रहा है.
साढ़े ग्यारह करोड़ में क्रय की भूमि
बांद्रा ईस्ट की जिस भूमि पर उद्धव ठाकरे मातोश्री-2 बिल्डिंग खड़ी की है, उस भूमि की वास्तविक कीमत जो चाहे हो, उद्धव ठाकरे ने उसे 11.6 करोड़ में खरीदा है. इस भूमि पर बनी आठ मंजिला इमारत में कई ट्रिप्लेक्स अपार्टमेंट्स बनाये गये हैं. हालांकि उद्धव ठाकरे ने चार साल पहले यह प्लॉट खरीदा था और तब वे सीएम नहीं थे.
दस हजार स्क्वेयर फीट से अधिक भूमि
सीएम ठाकरे की इस भूमि का क्षेत्रफल दस हजार स्क्वेयर फीट से ज्यादा है जिसके अंतर्गत इस अत्याधुनिक अट्टालिका में बेसमेंट, स्टिल्ट और आठ ऊपरी फ्लोर बनाये गये हैं. इसके अतिरिक्त प्रत्येक ट्रिप्लेक्स फ्लैट में लिविंग रूम के डिजाइन में दो फ्लोर की हाइट रखी गई है. हर फ्लैट में पांच बेडरूम के साथ एक स्टडी रूम दिया गया है.
इधर भी सब ठीक है न?
कंगना के कार्यालय को तोड़ देने के बाद उनके समर्थक भी ये बड़ा सवाल उठा सकते हैं. सवाल ये है कि इस सवाल का जवाब कौन देगा कि जिस भूमि पर मातोश्री-2 बिल्डिंग बनी है, वह पूरी तरह से वैध भूमि है? इसका नक्शा और इसका निर्माण कार्य भी पूरी तरह से वैध नियमों का ध्यान रखते हुए अस्तित्वमान है? इसके अतिरिक्त भूमि के सभी दस्तावेज ठीक हैं, उनमें कोई गड़बड़ी नहीं है? कंगना के अवैध फ्लैट को तोड़ने वाली बीएमसी को इस भूमि की भी जांच करनी चाहिए और यह तो औऱ भी अच्छा होगा जब खुद मुख्यमंत्री ही इसकी जांच करवा लें ताकि उनकी छवि और भी निखर जाये. और कुछ नहीं तो अंत में अदालत को ही ये जांच करवानी चाहिये ताकि कोई ये न कह सके कि कानून राजा और रंक में फर्क करता है..