नई दिल्ली. केंद्र सरकार अब अपनी सोशल सिक्योरिटी स्कीम कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का दायरा स्वरोजगार वाले लोगों तक बढ़ा सकती है. अगर केंद्र सरकार ऐसा कोई कदम उठाती है तो वर्तमान में इस स्कीम के तहत नहीं आने वाले करीब 90 फीसदी लोगों को भविष्य निधि का लाभ मिल सकेगा. वर्तमान में किसी ऐसे संस्थान के कर्मचारी ही EPFO द्वारा संचालित प्रोविडेंट फंड व पेंशन स्कीम को सब्सक्राइब कर सकते हैं, जिसमें कम से कम 10 कर्मचारी काम करते हों.
वकील, डॉक्टर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट व अन्य ऐसे ही स्वरोजगार वाले लोग सरकार की इस नये कदम से लाभान्वित हो सकेंगे. खुद का कोई काम करने वाला व्यक्ति भी कर्मचारी भविष्य निधि को सब्सक्राइब कर सकेगा. फिलहाल में यह संगठन (EPFO) करीब 6 करोड़ कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड को मैनेज करता है.
कवायद में जुटी सरकार
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि EPFO को संस्थान की जगह व्यक्तिगत स्तर पर लाने के आइडिया पर सरकार विचार कर रही है. इस पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. इन रिपोर्ट्स में कहा गया है यह फैसला सोशल सिक्योरिटी कोड बिल (Social Security Code Bill) के पास होने के बाद लिया जा सकेगा. इस बिल को पिछले साल लोकसभा में रखा गया था. ध्यान देने वाली बात है कि 8 केंद्रीय श्रम कानूनों को सोशल सिक्योरिटी कोड में शामिल किया जाएगा. इसमें एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड्स एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स एक्ट (EPF&MP) 1952 भी शामिल है.
सोशल सिक्योरिटी कानून पर काम कर रही सरकार
केंद्र सरकार ने अंब्रेला सोशल सिक्योरिटी संगठन के तहत मौजूदा सोशल सिक्योरिटी कानूनों को एक कानून में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि, व्यक्तिगत स्तर पर EPFO को खोलना सोशल सिक्योरिटी की दिशा में एक प्रभावी कदम माना जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि स्वरोजगार के लिए सोशल सिक्योरिटी एक प्रमुख मुद्दा है और ईपीएफओ के जरिये से बेहतर करने में मदद मिल सकेगी.
संसदीय समीति ने सुझाव दिया है कि इस स्कीम को व्यक्तिगत सब्सक्राइबर्स के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए और इसे लागू करने का फैसला सरकार की ओर से लिया जाएगा. समीति ने हाल ही में कहा था, ‘इस बात की संभावना तलाशी जा सकती है कि EPF&MP एक्ट को किसी भी एक व्यक्ति या स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों को कर्मचारी भविष्य निधि का हिस्सा बनाया जा सके.’
कैसे काम करता है EPF?
कर्मचारी भविष्य निधि एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है, जिसका संचालन संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन करता है. सरकारी और प्राइवेट सेक्टर दोनों तरह में नौकरी करने वाले कर्मचारियों की सैलरी से कर्मचारी भविष्य निधि का पैसा कटता है. ईपीएफ में दो प्रकार से पैसा जमा किया जाता है. पहला भाग EPF में जमा होता है और दूसरा भाग EPS यानी कर्मचारी पेंशन योजना में जमा होता है.
क्या है EPF का नियम?
कर्मचारी के बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ खाते में जमा होता है. इतनी ही रकम का योगदान उसकी कंपनी भी देती है. कर्मचारी के बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा ईपीएफ में जाता है. लेकिन कंपनी के योगदान का 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में जमा होता है और 3.67 फीसदी हिस्सा ईपीएफ में जमा किया जाता है. ईपीएस योजना के तहत 58 वर्ष की उम्र में रिटायर होने के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को पेंशन मिलती है. हालांकि, इस योजना का लाभ तभी लिया जा सकता है जब कर्मचारी ने कम से कम 10 वर्षों के लिए सर्विस दी हो.