देवरिया के चंद्रमोहन तिवारी की जीवटता देख यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी शुक्रवार को दंग रह गए। वह बेटे के प्रमाण पत्र में हुई त्रुटि को ठीक कराने के लिए साइकिल से बनारस पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि वह गुरुवार को सुबह 11.30 बजे साइकिल से चले थे। रात में सड़क किनारे एक होटल में थोड़ी देर विश्राम किया। होटल वाले ने जब उनकी समस्या सुनी तो उन्हें खाना खिलाया। चलते समय उनकी आर्थिक मदद की।
साइकिल से क्यों आएं,? बस से क्यों नहीं आए? चंद्रमोहन ने बताया कि बस में एक-एक सीट पर तीन-तीन सवारी बैठा रहे। प्राइवेट हो या रोडवेज दोनों बसों का यही हाल है। इससे मौजूदा कोरोना संक्रमण के दौर में बीमार होने का खतरा था। वह इतने सक्षम नहीं कि कोई प्राइवेट वाहन लेकर सीधे बनारस चले आते। इसलिए उन्होंने तय कर लिया कि वे साइकिल से ही जाएंगे। उन्होंने बताया कि कि कुल 200 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी है।
देवरिया के नूनखार के रहनेवाले चंद्रमोहन तिवारी के अनुसार उनके बेटे ने 2014 में हाईस्कूल परीक्षा पास की थी। अंकपत्र और प्रमाणपत्र पर पिता के नाम में गड़बड़ी हो गई है। उसे आईटीआई का फॉर्म जमा करना है। उससे पहले यह गड़बड़ी दूर करनी थी। उन्होंने जनवरी में इसके लिए आवेदन किया था। मगर इसके बाद लाकडाउन हो जाने के कारण वह दोबारा नहीं आ पाए। एक दुर्घटना में उनका बेटा घायल हो गया है। इसलिए उन्हें खुद आना पड़ा। चंद्रमोहन की समस्या सुनकर बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारियों ने उनकी तुरंत मदद की। संशोधित प्रमाणपत्र बनकर तैयार था, जो उन्हें सौंप दिया गया। इसके लिए 300 रुपये का चालान भी जमा करना था। इसके लिए कर्मचारियों ने उनको आर्थिक सहयोग किया और भोजन तथा नाश्ते आदि के लिए भी मदद की। उनके पुत्र कुलदीप तिवारी ने 2014 शिवाजी इंटर काल़ेज, खुखुन्दू देवरिया से हाईस्कूल पास किया है।