चीन से फैला कोरोना वायरस अब तक 213 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. तकरीबन 2 करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोग इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. जबकि 8 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वैक्सीन डेवेलपर के लिए अच्छी बात ये है कि वायरस अब तेजी से रूप नहीं बदल रहा है. हालांकि संक्रमण की रफ्तार अभी भी धीमी नहीं हुई है. इसी बीच कई एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि इस साल सर्दियों तक कोविड-19 की वैक्सीन आ जाएगी.
वहीं कुछ एक्सपर्ट कह रहे हैं कि सर्दी के मौसम में ही कोरोना सबसे ज्यादा तबाही मचाएगा. वैज्ञानिकों कहना है कि सर्दियों में आने वाली कोरोना की दूसरी लहर, पहले वाली से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है. हमें ये देखना होगा कि ठंडे या कम तापमान में वायरस कैसा व्यवहार करेगा.
WHO के साथ काम कर चुके इंफेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट क्लाउज स्टोहर की ‘द प्रिंट’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि इस वायरस का एपिडेमायोलॉजिकल बिहेवियर किसी अन्य रेस्पिरेटरी डिसीज से बहुत अलग नहीं होता है. उनका दावा है कि सुस्त पड़ चुका वायरस सर्दियों में वापसी कर सकता है.
दुनिया को महामारी की एक और लहर से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार होने की आवश्यकता है. कोरोना की संभावित लहर महामारी के मौजूदा खतरे से भी ज्यादा भयंकर हो सकती है. ब्रिटेन की ‘अकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस’ की भी कुछ ऐसी ही राय है. अकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट का कहना है कि साल 2021 के जनवरी-फरवरी महीने में हालात ठीक वैसे ही होंगे, जैसे साल 2020 की शुरुआत के वक्त पहली लहर में देखने को मिले थे.
ब्रिटेन के चीफ मेडिकल ऑफिसर, क्रिस व्हिट्टी का नाम उन टॉप वैज्ञानिकों में शुमार है, जो इस वक्त कोरोना को मिटाने वाली वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. ‘न्यू स्काई’ को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि हम किसी वैक्सीन के भरोसे नहीं बैठ सकते. खासतौर पर जिसके आगामी सर्दियों तक विकसित होने का दावा किया जा रहा है. हमें अगली सर्दियों तक तैयार रहना चाहिए. यह सोचना मूर्खता है कि इस साल सर्दियों तक हमें वैक्सीन मिल जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुमान गलत भी हो सकता है. दुनियाभर में बहुत से वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के कार्य में जुटे हुए हैं, ताकि जल्द से जल्द जानलेवा वायरस का इलाज खोजा जा सके. हमें इसकी जांच करनी चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं. इस प्रोसेस को पूरा होने में समय लगता है.’
उनकी सलाह है कि लोगों को इस आधार पर योजनाएं बनानी चाहिए कि हमें सर्दियों तक वैक्सीन नहीं मिलने वाली है. यदि इस दौरान हम किसी अच्छे डोज को तैयार करने में सफल हो जाते हैं तो हम मजबूत स्थिति में होंगे. इसके बाद हमें उसकी सुरक्षा और प्रभाव की अच्छे से जांच करनी होगी. लेकिन जब तक ऐसा कुछ नहीं होता, तब तक हमें मौजूदा चुनौतियों के हिसाब से ही अपनी रणनीतियां तय करनी होंगी.
जैसा कि दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स के समान विचारों में पता लग रहा है कि सर्दियों में कोरोना की दूसरी लहर से हालात और बदतर हो सकते हैं, सभी देशों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. कोविड-19 के इलाज के लिए एक प्रभावी वैक्सीन अभी भी कम से कम 6 महीने दूर है और उन हालातों में भी इतने बड़े पैमाने पर इम्यूनाइजेशन कैसे किया जाएगा, यह भी बड़ा सवाल है.