पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) की आज पहली पुण्यतिथि है. पिछले साल 24 अगस्त के दिन वह इस दुनिया को अलविदा कह गए. अरुण जेटली का देश में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में नई कर व्यवस्था ‘जीएसअी’ लागू करने में अहम योगदान है. वित्त मंत्री के तौर पर जेटली के कार्यकाल में ही 1 जुलाई 2017 को भारत में GST (Goods & Services Tax) लागू किया गया. जेटली की पुण्यतिथि पर वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने उन्हें याद करते हुए जीएसटी से कर व्यवस्था में बदलावों को लेकर जानकारी दी है.
वित्त मंत्रालय ने कई ट्वीट कर बताया है कि जीएसटी लागू होने से पहले देश में वैट, एक्साइज, केंद्रीय बिक्री कर और टैक्स पर टैक्स के संयोजक प्रभाव के चलते टैक्स की स्टैंडर्ड रेट कई मामलों में 31% तक पहुंच गई थी. देशभर में फैले बाजारों पर प्रत्येक राज्य में टैक्स की एक अलग दर लागू होना भारी अक्षमता और अनुपालन की उच्च लागत का कारण बना. जीएसटी के तहत, अनुपालन में लगातार सुधार हो रहा है और करदाता आधार लगभग दोगुना होकर 1.24 करोड़ हो गया है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक, जीएसटी ने उस दर को कम कर दिया है, जिस पर लोगों को कर का भुगतान करना पड़ता है. RNR समिति के अनुसार पहले देश में रेवेन्यु न्यूट्रल रेट 15.3% थी. इसकी तुलना में आरबीआई के अनुसार, वर्तमान में वेटेड जीएसटी रेट केवल 11.6% है.
बढ़ा टैक्सपेयर्स बेस
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अब यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि जीएसटी उपभोक्ता और करदाता दोनों के अनुकूल है. जीएसटी से पहले के समय की उच्च कर दरों ने कर का भुगतान करने की दिशा में विघटनकारी रूप में काम किया, वहीं जीएसटी के तहत कम दरों ने कर अनुपालन को बढ़ाने में मदद की. जीएसटी के लागू होने के बाद टैक्सपेयर्स बेस लगभग दोगुना हो गया है. इसकी स्थापना के समय GST द्वारा कवर किए गए करदाताओं की संख्या लगभग 65 लाख थी. अब करदाता आधार 1.24 करोड़ से अधिक है. जीएसटी की एक खासियत यह भी है कि इसमें सभी प्रक्रियाएं पूरी तरह से स्वचालित यानी ऑटोमेटेड हैं. अब तक 50 करोड़ रिटर्न ऑनलाइन भरे गए हैं और 131 करोड़ ई-वे बिल जेनरेट किए गए हैं.
कैसे सस्ते हुए आइटम्स
वित्त मंत्रालय का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद से बड़ी संख्या में वस्तुओं पर कर की दर को नीचे लाया गया. अब 28% की दर लगभग पूरी तरह से व्यसनकारी उत्पादों और विलासिता की वस्तुओं तक सीमित है. 28% के स्लैब की कुल 230 वस्तुओं में से लगभग 200 वस्तुओं को निचले स्लैब में ट्रांसफर कर दिया गया है. रोजमर्रा में काम आने वाली ज्यादातर चीजों पर या तो जीएसटी शून्य है या 5 फीसदी है. आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे हेयर ऑयल, टूथपेस्ट और साबुन पर टैक्स की दरें जीएसटी लागू हाने से पहले 29.3 फीसदी थीं, लेकिन जीएसटी में यह दर 18 फीसदी है.
फ्रिज, वॉशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, फूड ग्राइंडर्स व मिक्सर, जूस निकालने वाली मशीन, शेवर, हेयर क्लिपर, वाटर हीटर, हेयर ड्रायर, इलेक्ट्रिक स्मूथिंग आयरन, 32 इंच तक के टेलीविजन पर पहले टैक्स की रेट 31.3 फीसदी थी, अब ये चीजें 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में हैं. सिनेमा टिकट्स पर टैक्स की दर पहले कहीं भी 35 से 110 फीसदी के बीच थी. जीएसटी में यह दर अब 12 से 18 फीसदी के बीच है. जीएसटी में निर्माण क्षेत्र, विशेष रूप से आवास क्षेत्र को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की गई है. इसे अब 5% टैक्स स्लैब में रखा गया है. किफायती आवास पर जीएसटी कम करके 1% कर दिया गया है. रेस्तरां पर 5 फीसदी जीएसटी लागू है.
कारोबारियों को कैसे फायदा
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 40 लाख रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी से छूट है. शुरुआत में यह सीमा 20 लाख रुपये थी. इसके अतिरिक्त, 1.5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले लोग कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं और सामान के लिए केवल 1% कर का भुगतान कर सकते हैं.
कृषि क्षेत्र को कैसे मिला फायदा
कृषि क्षेत्र को जीएसटी में पर्याप्त रियायतें दी गई हैं. उर्वरकों पर जीएसटी में शुद्ध कर को घटाकर आधा कर दिया गया. कृषि यंत्रों पर कर की दरें 15-18% से कम होकर 12% हो गईं और कुछ वस्तुओं पर लगभग 8% से 5% तक की कमी आई है. मवेशियों के चारे, जलीय चारे और मुर्गी चारे सभी को जीएसटी में शून्य दर पर रखा गया है, जैसा कि सभी प्रकार के बीजों के लिए है. दूसरे शब्दों में, कृषि प्रक्रिया में काम आने वाले इन महत्वपूर्ण घटकों पर जीएसटी प्रणाली के तहत किसी भी प्रकार का कोई कर नहीं लगता. रासायनिक उर्वरकों पर जीएसटी लागू होने से पहले कर की दर 10% से अधिक थी (1% उत्पाद शुल्क, 2.44% एम्बेडेड उत्पाद शुल्क, लगभग 4% वेटेड एवरेज वैट और 2.5% सीएसटी, ऑक्ट्रोई, इत्यादि), जबकि जीएसटी प्रणाली में सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों पर कर की दर केवल 5% है.