नई दिल्ली: नोएडा (Noida) के रहने वाले खरे परिवार के सभी लोग कोविड-19 ( COVID-19) के दौर में यूं तो एक साथ हैं लेकिन ये लोग साथ होकर भी साथ नहीं, क्योंकि सभी अपने अपने मोबाइल फोन (Mobile Phone) पर घंटों लगे होते हैं. मिस्टर खरे फोन पर अपने ऑफिस का काम निपटाने में बिजी हैं तो मिसेज खरे घर के काम फोन से निपटा रही हैं और साथ ही बच्चों की ऑनलाइन क्लास (Online Classes) की जिम्मेदारी भी तो अब फोन पर ही आ गई है. पूरा परिवार अब दिन में 8 – 9 घंटे फोन पर ही बिजी रहता है जबकि पहले ऐसा नहीं था.
भारत के बदलते यूजर बिहेवियर और स्मार्टफोन (Smartphone) के इस्तेमाल के पैटर्न को लेकर साइबर मीडिया रिसर्च यानी सीएमआर, टेक्नो मोबाइल और मोबाइल इंडस्ट्री कंज्यूमर इनसाइट्स यानी MICI ने जो रिपोर्ट जारी की है वो भी बताती है कि कोविड-19 के दौर में स्मार्टफोन यूज करीब 120 प्रतिशत बढ़ा है.
कोविड-19 की वजह से देशभर में 25 मार्च से 31 मई हुए देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल 50 प्रतिशत तक बढ़ गया. इसमें काम के लिए स्मार्टफोन इस्तेमाल में 100 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है. इस दौरान 84 प्रतिशत यूजर्स ने अपने स्मार्टफोन पर सरकारी योजनाओं, मौसम के मिजाज और कृषि उपज की बाज़ार से जुड़ी जानकारी हासिल की है. 83 प्रतिशत लोगों ने ऑनलाइन बैंकिंग, शॉपिंग और यूटिलिटी बिल भुगतान के लिए अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया है.
साथ ही रिपोर्ट से ये भी पता चला है कि यूजर फोन पर वीडियो ओटीटी 70 प्रतिशत, ऑडियो ओटीटी 60 प्रतिशत और गेमिंग 62 प्रतिशत के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं और कोरोना काल में हर 7 यूजर में से दो यानी 29 प्रतिशत लोगों को घर से काम करते वक्त चुनौती का सामना करना पड़ा है. वहीं हर 7 यूजर में से एक यानी 15 फीसदी को घर और ऑफिस वर्क के बीच तालमेल बिठाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.
मोबाइल खरीदने के पैरामीटर्स ही बदल गए
लॉकडाउन के दौरान स्मार्टफोन में 61 फीसदी यूजर कैमरा, 57 फीसदी यूजर बैटरी, 51 फीसदी यूजर ऑडियो पर ध्यान देते हैं. लॉकडाउन के दौरान 58 फीसदी स्मार्टफोन यूजर को फोन में ओवरहीटिंग, 47 फीसदी यूजर को छोटी स्क्रीन साइज और 46 फीसदी यूजर को कम पावर बैकअप की परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है और अब मोबाइल खरीदने के पैरामीटर्स ही बदल गए हैं 75 प्रतिशत यूजर नए स्मार्टफोन खरीदते वक्त लंबी बैटरी लाइफ देख रहे हैं तो 53 प्रतिशत यूजर बड़ी स्क्रीन साइज पसंद कर रहे हैं.
फोन आपकी सेहत तो खराब नहीं कर रहा?
लॉकडाउन के बाद लोगों की इंटरनेट और गैजेट्स पर ही डिपेंड हो गए हैं. स्मार्टफोन पर ही स्कूल और कॉलेज की क्लासेज चल रही हैं. इसके अलावा कोई गेम खेलकर तो कोई वीडियो देखकर अपना वक्त बिता रहा है. लेकिन स्मार्टफोन पर हद से ज्यादा बढ़ती निर्भरता की वजह से एक नए तरह का साइबर खतरा भारत के सामने खड़ा हो गया है. अब लोगों के फोन या उनके सोशल मीडिया अकाउंट या फिर बैंक अकाउंट को भी हैक करना बेहद आसान हो गया है. अब लोगों के साथ फ्रॉड के मामले पिछले कुछ महीनों में बढ़ गए हैं.
लेकिन परेशानी सिर्फ यहां खत्म नहीं होती मोबाइल फोन का हद से ज्यादा इस्तेमाल सेहत पर भी भारी पड़ने लगा है. आंखों और सर में दर्द, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन और बेचैनी जैसे लक्षण मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल का नतीजा है. ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल फोन या किसी गैजेट का इस्तेमाल करना बच्चों के लिए जरूरी हो गया है लेकिन इसकी वजह से उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है. लोगों में सर्वाइकल और स्पॉन्डिलाइटिस जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं.
कोरोना संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद भारत में मोबाइल फोन के इस्तेमाल में जबरदस्त उछाल आया पहले सोशल नेटवर्किंग साइट्स के लिए औसतन जहां लोग साढ़े तीन घंटे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते थे वहीं लॉकडाउन के दौरान यह समय बढ़कर साढ़े चार घंटे से भी ज्यादा हो गया है. दिलचस्प बात यह है कि इसमें वर्क फ्रॉम होम से जुड़ी एप्स पर बिताया गया समय शामिल नहीं है. 22 मार्च से शुरू हुए सप्ताह के दौरान लोगों ने हेल्थ केयर और मेडिटेशन से जुड़ी एप्स भी जमकर डाउनलोड की और 1 सप्ताह के अंदर 39 लाख लोगों ने अपने फोन में ऐसी एप्स डाउनलोड की. दिसंबर 2019 के आखिरी सप्ताह में जहां भारत में वीडियो कंजंक्शन 2.1 बिलियन प्रति घंटे था उसमें लॉकडाउन के पहले ही सप्ताह में 40 फ़ीसदी का इजाफा हुआ.
कोरोना महामारी के इस दौर में स्मार्टफोन पर हमारी निर्भरता बढ़ी जरूर है लेकिन आपको ये खबर देखने के बाद यह जरूर सोचना चाहिए कि कहीं यह फोन आपकी सेहत तो खराब नहीं कर रहा है और अगर इसका जवाब हां है तो फिर आपको सचेत होने की जरूरत है. क्योंकि जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल आपकी सेहत को खराब बहुत खराब कर सकता है.