नई दिल्ली. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि पीएमसी बैंक (PMC Bank) में विड्रॉल लिमिट 1 लाख रुपये से ज्यादा बढ़ाना संभव नहीं है. पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (Punjab and Maharashtra Co-operative Bank) में स्कैम का खुलासा होने के बाद RBI ने इस बैंक के लिक्विडिटी संकट को देखते हुए यह लिमिट लगाया था. आरबीआई ने हाईकोर्ट में कहा कि 26 मार्च 2020 तक डिपॉजिट लायबिलिटी करीब 10,000 करोड़ रुपये की थी. जबकि बैंक के पास लिक्विड एसेट करीब 2,955.73 करोड़ रुपये की है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी डिपॉजिटर्स को पूरी रकम विड्रॉल करने के लिए यह पर्याप्त नहीं. अधिकतर लोन या एडवांस फंसे कर्ज में तब्दील हो चुके हैं.
केंद्रीय बैंक ने जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान को बताया कि प्रत्येक डिपॉजिटर्स को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस कवर प्रदान किया जा रहा है. डीआईसीजीसी भी आरबीआई के अधीन है.
कुछ मामलों में 5 लाख रुपये निकासी की अनुमति
हालांकि, आरबीआई ने शुक्रवार को यह भी कहा कि कोर्ट की सलाह पर उसने कुछ चुनिंदा मामलों में 5 लाख रुपये तक की निकासी की अनुमति दी है. इसमें गंभीर बीमारी के इलाज जैसे कैंसर, हार्ट, किडनी या लीवर संबंधी बीमारी शामिल हैं. यहां तक की कोविड-19 से संक्रमित गंभीर स्थिति के लिए भी यह अनुमति दी गई है.
आरबीआई ने क्यों लगाया है विड्रॉल लिमिट
RBI द्वारा कोर्ट में दाखिल किए गए एफिडेविट के मुताबिक समय-समय पर विड्रॉल लिमिट को बढ़ाया गया है. 19 जून को 1 लाख रुपये पर इसकी कैपिंग की गई थी. इसके बाद से पीएमसी बैंक के करीब 84 फीसदी डिपॉजिटर्स अपनी पूरी रकम निकाल सकते हैं. आरबीआई ने कहा कि पीएमसी बैंक पर इस तरह के प्रतिबंध लगाने का मुख्य कारण यह थाा कि डिपॉजिटर्स की रकम को सुरक्षित किया जा सके. साथ ही बैंक अपने एसेट्स को दुरुस्त कर सके और अनियमितता को ठीक करने का मौका मिल सके. बैंक को वित्तीय हालात सुधारने का भी अवसर मिल सकेगा.
आरबीआई की तरफ से यह एफिडेविट एक एप्लीकेशन के जवाब में था, जिसमें कोविड-19 संक्रमण के लिए 5 लाख रुपये निकासी की अनुमति मांगी गई थी. इस एप्लीकेशन को कंज्यूमर राइट्स एक्टिविस्ट बेजोन कुमार मिश्रा ने वकी शशांक देव सुधी के जरिए दाखिल करवाया था. इसमें आरबीआई से मोरेटोरियम में सहूलियत देने के लिए कहा गया था ताकि कोरोना वायरस महामारी के बीच डिपॉजिटर्स को कुछ राहत मिल सके.
मिश्रा ने अपने एप्लीकेशन में दावा किया था कि डिपॉजिटर्स द्वारा वित्तीय परेशानी या मेडिकल इमरजेंसी की स्थित में विड्रॉल लिमिट से ज्यादा निकासी की अनुमति नहीं मिल रही है. डिपॉजिटर्स की मदद के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान आरबअीाई ने इस आरोप को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को कहा कि वो ऐसे मामले के बारे में जानकारी दें जहां बैंक या आरबीआई के प्रतिनिधि ने इस डिपॉजिटर्स को फंड देने से मना किया है.
हालांकि, इसके बाद बेंच को 21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया जब मिश्रा को उन डिपॉजिटर्स की लिस्ट भेजनी थी जिन्हें आपात में फंड्स प्राप्त करना था. 28 मई को कोर्ट ने केंद्र सरकार, आरबीआई और पीएमसी बैंक से कहा था कि डिपॉजिटर्स की कोविड-19 महामारी के बीच डिपॉजिटर्स की मुश्किल का समाधान किया जाए. आरबीआई ने 4,335 करोड़ रुपये के स्कैम के बाद पीएमसी बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया था.