Transparent Taxation- ‘Honoring the Honest’ Platform: गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईमानदार करदाताओं के लिए ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन प्रोग्राम (पारदर्शी टैक्सेशन व्यवस्था-ईमानदारों को सम्मान) की शुरुआत की. इसके तहत पीएम मोदी ने फेसलेस असेसमेंट (Faceless Assessment), फेसलेस अपील (Faceless Appeal) और टैक्सपेयर्स चार्टर (Taxpayers Charter) का जिक्र किया. फेसलेस असेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर अभी से लागू हो गए हैं, जबकि फेसलेस अपील को 25 सितंबर से लागू किया जाएगा. आइए जानते हैं कि आखिर फेसलेस असेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर क्या हैं और कैसे यह भारत की कर व्यवस्था को पारदर्शी बनाकर ईमानदार टैक्सपेयर्स के हित में काम करने वाले हैं…
फेसलेस असेसमेंट
फेसलेस का अर्थ है कि करदाता को कर अधिकारी से मिलने की और आयकर कार्यालय जाने की कोई जरूरत नहीं है. फेसलेस असेसमेंट में अब कंप्यूटर से तय होगा कि कौन सा टैक्स असेसमेंट कौन सा अधिकारी करेगा. डेटा एनालिटिक्स और एआई के जरिए यह चुनाव किया जाएगा. मामलों का आवंटन स्वचालित तरीके से रैंडमली होगा. असेसमेंट से निकला रिव्यू भी किस अधिकारी के पास जाएगा, यह किसी को पता नहीं होगा. रिव्यू आदेश का ड्राफ्ट एक शहर में, दूसरे शहर में समीक्षा और तीसरे शहर में इसे फाइनल रूप दिया जाएगा. डॉक्युमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर के साथ नोटिस का सेंट्रल इश्युएंस होगा.
इसके अलावा नए सिस्टम में असेसमेंट के प्रादेशिक क्षेत्राधिकार को भी खत्म कर दिया गया है. पहले उसी क्षेत्र का कर अधिकारी असेसमेंट करता था, जहां का मामला होता था. लेकिन अब किसी भी राज्य या शहर का अधिकारी कहीं के भी मामले की जांच कर सकता है. इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आयकर अधिकारियों से जान पहचान बनाकर सांठगांठ करने और दबाव बनाने के हथकंडे नहीं चलेंगे. इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी से भी बचा जा सकेगा.
डायनामिक ज्यूरिसिडिक्शन व टीम बेस्ड असेसमेंट के साथ करदाता स्क्रूटनी नोटिस का ऑनलाइन जवाब दे सकते हैं. फेसलेस असेसमेंट में मामलों का तेजी से निपटारा होगा. हालांकि कुछ मामले इस नई व्यवस्था के दायरे में नहीं आएंगे, जैसे गंभीर धोखाधड़ी, बड़ी कर चोरी, संवेदनशील व जांच के मामले, अंतरराष्ट्रीय कर मामले, काला धन अधिनियम व बेनामी संपत्ति के मामले.
फेसलेस अपील
फेसलेस अपील के तहत अपील किसी भी अधिकारी को रैंडम तरीके से आवंटित की जा सकती है. अपील पर निर्णय लेने वाले अधिकारियों की पहचान अज्ञात रहेगी. अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने/कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है. इस व्यवस्था में इलेक्ट्रॉनिकली जवाब दिया जा सकता है. अपीलीय निर्णय व रिव्यू टीम आधारित होंगे. हालांकि कुछ मामले इस नई व्यवस्था के दायरे से बाहर होंगे, जैसे- गंभीर धोखाधड़ी, बड़ी कर चोरी, संवेदनशील व जांच के मामले, अंतरराष्ट्रीय कर मामले, काला धन अधिनियम व बेनामी संपत्ति के मामले.
टैक्सपेयर चार्टर के फीचर्स
- करदाता को ईमानदार माना जाएगा.
- करदाता के साथ विनम्र और शिष्ट व्यवहार होगा.
- करदाता को अपील और रिव्यू का तंत्र प्रदान किया जाएगा.
- पूर्ण व सटीक जानकारी प्रदान की जाएगी.
- समय पर निर्णय किया जाएगा.
- टैक्स की सही राशि ली जाएगी.
- करदाताओं की गोपनीयता का सम्मान किया जाएगा.
- अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाएगा.
- करदाता अपने पसंदीदा प्रतिनिधि का चयन कर सकेंगे.
- शिकायत दर्ज करने के लिए तंत्र प्रदान किया जाएगा.
- उचित व न्यायपूर्ण व्यवस्था दी जाएगी.
- सेवा मानकों का प्रकाशन और वक्त-वक्त पर रिपोर्ट दी जाएगी.
- अनुपालन की लागत कम की जाएगी.
इसमें एक करदाता की भी कुछ जिम्मेदारियां होंगी. जैसे करदाता को ईमानदार होना चाहिए, उसे नए बदलावों व नियमों की जानकारी होनी चाहिए, कर से जुड़ी डिटेल्स का सही रिकॉर्ड रखे, समय पर जवाब दे और समय पर कर का भुगतान करे. इस बारे में डिटेल में पढ़ें…