Parijat Tree Significance,Parijat Tree Benefits: राम मंदिर भूमि पूजन से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम जन्मभूमि स्थल पर पारिजात वृक्ष का को लगाया. पारिजात को हरसिंगार, रात की रानी, शेफाली, शिउली आदि नामों से भी जाना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है और अंग्रेजी में इसे नाइट जैस्मीन कहते हैं. पारिजात का हिंदू धर्म में विशेष और पवित्र स्थान है.
कहते हैं कि पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी और यह देवताओं को मिला था. स्वर्ग में इंद्र ने अपनी वाटिका में इसे रोप दिया था. पौराणिक मान्यता अनुसार नरकासुर के वध के पश्चात इन्द्र ने श्रीकृष्ण को पारिजात का पुष्प भेंट किया, जो उन्होंने देवी रुक्मिणी को दे दिया. देवी सत्यभामा को देवलोक से देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया था. लेकिन पारिजात पुष्प के प्रभाव से देवी रुक्मिणी भी चिरयौवन हो गईं, जिसे जानकर सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात वृक्ष लाने की जिद करने लगीं. इसके बाद श्रीकृष्ण को पारिजात धरती पर लाना पड़ा.
पारिजात के फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं. पारिजात के फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह होते-होते वे सब मुरझा जाते हैं. पारिजात के फूल को भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में भी प्रयोग किया जाता है.
पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प
पारिजात का वृक्ष आमतौर पर 10 से 15 फीट ऊंचा होता है. लेकिन कहीं-कहीं इसकी ऊंचाई 25 से 30 फीट भी होती है. इस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं. दुनिया भर में इसकी सिर्फ पांच प्रजातियां पाई जाती हैं. पारिजात का फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है. हिमालय के तराई क्षेत्र में पारिजात ज्यादा संख्या में मिलते हैं.
औषधीय गुण भी हैं
पारिजात के फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. इसे हृदय रोगों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. इसे सूखी खांसी में भी कारगर माना जाता है.