अमीर बनने का सपना हर कोई देखता है, लेकिन इस सपने को पूरा करने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती. हालांकि, अगर नौकरी शुरू करने के साथ ही बेहतर प्लानिंग की जाए तो आपको करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता. इसीलिए आज हम बता रहे हैं कि अमीर बनने के लिए बेहतर प्लानिंग कैसे की जाती है. आप भी ऐसा कर सकते हैं…..
25 साल की उम्र में करना होगा ये काम: अगर आपकी उम्र 25 साल है और आप रिटायरमेंट की उम्र में 2 करोड़ रुपए के आसपास जमा करना चाहते हैं तो आपके 5 हजार रुपए प्रति महीना इन्वेस्ट करना होगा. आपके निवेश पर सिर्फ 10 फीसदी की दर से रिटर्न मिलेगा तो भी आप रिटायरमेंट तक करोड़पति बन जाएंगे.
आपको क्या करना होगा: इसके लिए सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए निवेश करना होगा. इससे आपके निवेश पर जोखिम भी कम होगा और शानदार रिटर्न भी मिलेगा, क्योंकि एसआईपी के जरिए पैसा म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसे में कम से कम से 10 फीसदी की दर से रिटर्न तो मिलता ही है.
उम्र 25 साल- मंथली इन्वेस्टमेंट: 5000 रुपए- इंटरेस्ट रेट: 10 फीसदी- रिटायरमेंट उम्र: 60 साल- इन्वेस्टमेंट अमाउंट: 21 लाख-इंटरेस्ट से इनकम: 1.70 करोड़ रुपए (लगभग)- कुल मिलने वाली रकम: 1.91 करोड़ रुपए (लगभग)
30 साल की उम्र में करना होगा ये काम: अगर आपकी उम्र 30 साल है और आप रिटायरमेंट की उम्र में 1.5 करोड़ रुपए के आसपास चाहते हैं तो आपको 8 हजार रुपए प्रति महीना इन्वेस्ट करना होगा. आपके निवेश पर सिर्फ 10 फीसदी की दर से रिटर्न मिलेगा तो भी आप रिटायरमेंट तक करीब 2 करोड़ रुपए आसानी से मिल जाएगा.
उम्र 30 साल- मंथली इन्वेस्टमेंट: 8000 रुपए-इंटरेस्ट रेट: 10 फीसदी-रिटायरमेंट उम्र: 60 साल-इन्वेस्टमेंट अमाउंट: 28.80 लाख-इंटरेस्ट से इनकम: 1.53 करोड़ रुपए (लगभग)-कुल मिलने वाली रकम: 1.82 करोड़ रुपए (लगभग)
ऐसे समझे पूरा गणित: SIP के जरिए जल्दी निवेश शुरू करने पर अधिक रिटर्न हासिल होता, क्योंकि इस पर चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है. उदाहरण के तौर पर अगर सोहन 30 साल की उम्र में 1,000 रुपए जमा करता है और उस पर 8 फीसदी की दर से रिटर्न मिलता है तो 60 साल उम्र पूरी होने पर उसे 12.23 लाख रुपए मिलेंगे. वहीं, राम 35 साल की उम्र में 1000 रुपए जमा करता है और उसको भी 8 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है तो 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद केवल 7.89 लाख रुपए मिलेंगे. इससे पता चलता है कि शुरू में 50 हजार रुपए का फर्क अंत में 4 लाख रुपए से ज्यादा का अंतर पैदा कर देता है.
आखिर SIP ही क्यों: SIP के माध्यम से निवेश करने पर शेयर बाजार में गिरावट के समय भी अपने निवेश को उतनी ही अच्छी तरह से संभाल सकते हैं जैसे बाजार के तेजी के समय. SIP द्वारा निवेश करने पर म्यूचुअल फंड्स के यूनिट्स की खरीद की लागत एवरेज हो जाती है. इस कारण निवेश पर जोखिम कम होता है.