मोदी सरकार ने आकलन वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के लिए आखिरी तारीख 31 जुलाई 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 तक कर दिया था. आईटीआर को फाइल करते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. लोग आईटीआर फाइल करते समय कुछ गलतियां करते हैं. ऐसी गलतियों से बचना चाहिए क्योंकि इन्हें करने पर इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भेज सकता है. आइए जानते हैं कि आईटीआर फाइल करते समय आपको किन चीजों से बचना है.
गलत ITR फॉर्म को चुनना
इनकम टैक्स विभाग हर साल संशोधित आईटीआर फॉर्म जारी करता है जिनका योग्यता का मानदंड अलग होता है. हर आईटीआर फॉर्म अलग स्रोत की आय पर आधारित होता है. क्योंकि हर साल फॉर्म में संशोधन होता है, इसलिए ऐसा मुमकिन है कि टैक्सपेयर को वह आईटीआर फाइल नहीं करने की जरूरत हो, जिसे पिछले साल किया था. उन्हें कुछ अतिरिक्त डिटेल्स देने की जरूरत भी हो सकती है क्योंकि हर साल नई जानकारी जुड़ती हैं.
समय पर रिटर्न नहीं फाइल करना
यह सबसे बड़ी गलती है जिससे टैक्सपेयर्स को बचना चाहिए. टैक्स फाइल करने से पहले जरूरी दस्तावेजों और TDS फॉर्म्स को इकट्ठा कर लेना चाहिए. फाइल करने में देरी करने से जुर्माना लगने के साथ कई बेनेफिट भी छूट जाते हैं.
फाइल किए गए आईटीआर को ई-वेरिफाई नहीं करना
एक बार आईटीआर फाइल करने पर आपको उसे आधार बेस्ड ओटीपी या नेटबैंकिंग या डीमैट अकाउंट के जरिए ई-वेरिफाई करना होता है. इसके अलावा आप आईटीआर एक्नॉलेजमेंट की रसीद (ITR-V) की साइन कॉपी को CPC बैंगलोर भी भेज सकते हैं. अगर आप आईटीआर को 120 दिनों के भीतर ई-वेरिफाई नहीं कर पाते, तो वह अमान्य हो जाता है.
आय के सभी स्रोतों की जानकारी नहीं देना
यह गलती बहुत से सैलरी पाने वाले व्यक्ति करते हैं. वे फिक्स्ड डिपॉजिट पर कुछ ब्याज कमाते हैं या डेट या इक्विटी पर कैपिटल गेन होते हैं. यह महत्वपूर्ण है कि सभी तरह की आय की सही जानकारी दी जानी चाहिए. क्योंकि अब सभी रिकॉर्ड्स ऑनलाइन इंटिग्रेटेड हैं, तो आय की जानकारी में कोई भूल से टैक्सपेयर्स को मुश्किल हो सकती है.
इनकम और टैक्स डिडक्शन में गड़बड़
फॉर्म 26AS एक कंसोलिटेड टैक्स स्टेटमेंट है जिसमें आपके आय के अलग-अलग स्रोतों से टैक्स डिडक्शन होता है. इसे आईटी वेबसाइट पर ई-फाइलिंग अकाउंट से भी डाउनलोड किया जा सकता है. रिटर्न फाइल करने से पहले यह जरूरी है कि आप अपनी फॉर्म 26AS और फॉर्म 16/16A में दी गई इनकम को मिला लें.