Income Tax Saving: इनकम टैक्स में बचत करने के लिए लोग I-T एक्ट के सेक्शन 80C के तहत अधिक से अधिक निवेश करने की कोशिश करते हैं. केंद्र सरकार ने I-T एक्ट के चैप्टर-VIA-B के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए निवेश या भुगतान करने के लिए तारीख को बढ़ाया था, जिसमें सेक्शन 80C (LIC, PPF, NSC आदि), 80D (मेडिक्लेम), 80G (डोनेशन) शामिल हैं. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन सेक्शन के अंदर डिडक्शन को क्लेम करने के लिए निवेश या भुगतान 31 जुलाई 2020 तक किए जा सकते हैं.
अब इसमें कुछ ही दिन बचे हैं. इनकम टैक्स बचत के लिए कुछ ऐसे तरीके हैं जिनमें आप अपने माता-पिता, जीवनसाथी और बच्चे की भी मदद ले सकते हैं. इनमें फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी भी शामिल है. हालांकि, इसमें परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर इसका फायदा नहीं लिया जा सकता है.
माता-पिता के नाम पर खोलें FD अकाउंट
आप अपने माता-पिता के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट खोल सकते हैं. अगर वे आपके मुकाबले कम टैक्स स्लैब में आते हैं, तो एफडी पर भुगतान किए जाना वाला ब्याज आपके मुकाबले कम रहेगा. अगर आप अपने नाम पर वही एफडी खोलेंगे, तो आपको ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा.
इसके अलावा अगर आपके माता-पिता सीनियर सिटीजन हैं, तो वे आपकी फिकस्ड डिपॉजिट के जरिए ज्यादा ब्याज आय कमाने में मदद कर सकते हैं. क्योंकि बैंक सीनियर सिटीजन को एफडी पर ज्यादा ब्याज ऑफर करते हैं. इसके साथ सेक्शन 80TTB के तहत सीनियर सिटीजन एक वित्तीय वर्ष के दौरान कई फिक्स्ड डिपॉजिट से 50,000 रुपये की टैक्स फ्री ब्याज कमा सकता है.
जीवनसाथी के नाम पर खोलने से नहीं होगी बचत
हालांकि, ऐसा अपने जीवनसाथी के नाम पर नहीं किया जा सकता है. अगर पति अपनी पत्नी के नाम पर निवेश करता है, तो ऐसे निवेश से होने वाली आय उसकी आमदनी के साथ जुड़ जाती है. इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक इसे आपकी खुद की आय माना जाता है और आप पर लागू होने वाले टैक्स स्लैब की दर के मुताबिक टैक्स लगता है.
इसके साथ नाबालिग बच्चे के नाम पर FD अकाउंट खोलने पर कमाई गई आय व्यक्ति की इनकम में ही जुड़ती है. जब बच्चा 18 साल का हो जाता है, तो उसे अलग इकाई के तौर पर देखा जाता है और उस पर कमाई गई आय के लिए टैक्स लगाया जाता है. इसमें माता-पिता के ऊपर टैक्स नहीं लगाया जाता.