नई दिल्ली. गूगल इंडिया डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से कहा है कि गूगल-पे (Google Pay) ऐप को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. गूगल इंडिया ने कहा कि गूगल-पे भुगतान प्रणाली संचालक (POS) नहीं है. ये थर्ड पार्टी ऐप्लीकेशन प्रदाता है. गूगल ने कहा है कि आरबीआई से ऑथराइज्ड पीएसओ भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) है, जो यूपीआई नेटवर्क का मालिक और संचालक है.
NPCI थर्ड पार्टी ऐप प्रदाताओं को करती है अधिकृत
गूगल इंडिया ने हाईकोर्ट में दिए शपथपत्र में कहा है कि एनपीसीआई भुगतान सेवा उपलब्ध कराने वाले बैंकों और गूगल-पे जैसे थर्ड पार्टी एप्लीकेशन (TPA) कंपनियों को अपने नेटवर्क पर लेनदेन के लिए अधिकृत करती है. दरअसल, एक जनहित याचिका में आरोप लगाया थाा कि गूगल का मोबाइल भुगतान ऐप गूगल-पे या जी-पे भारतीय रिजर्व बैंक से आवश्यक अनुमति के बिना वित्तीय लेनदेन की सुविधा उपलब्ध करा रहा है.
‘वित्तीय लेनदेन सुविधा मुहैया कराने की मंजूरी नहीं’
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ मामले पर अगली सुनवाई 31 अगस्त को करेगी. दरअसल, याचिकाकर्ता ने गूगल के शपथपत्र पर जवाब देने के लिए समय दिए जाने का आग्रह किया था. याचिकाकर्ता इकोनॉमिस्ट अभिजीत मिश्रा ने दावा किया है कि जी-पे नियमों का उल्लंघन कर भुगतान प्रणाली प्रदाता के रूप में काम कर रहा है. इसके पास भारत के केंद्रीय बैंक से वित्तीय लेनदेन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं है.
‘गूगल-पे NPCI की सूची में भी नहीं है शामिल’
मिश्रा ने दलील दी कि जी-पे का नाम 20 मार्च 2019 को जारी भुगतान प्रणाली प्रदाताओं की एनपीसीआई की सूची में भी नहीं है. गूगल की ओर से पेश अधिवक्ता हिमांशु विज ने दलील दी कि वह एनपीसीआई के नियमों के तहत काम करता है. इसके दिशा-निर्देशों और संबंधित कानूनों का पालन करता है. आरबीआई भी कह चुका है कि गूगल-पे थर्ड पार्टी ऐप प्रदाता है. वह कोई भुगतान प्रणाली नहीं चलाता है. इसलिए इसका परिचालन भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 का उल्लंघन नहीं है.