नई दिल्ली. कोविड-19 संकट के बीच केंद्र सरकार बार-बार इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने का समय आगे बढ़ा रही है. साथ ही टैक्स सेविंग स्कीम्स (Tax Saving Schemes) में निवेश की अवधि भी कई बार बढ़ाई जा चुकी है. फिलहाल कोई भी करदाता 31 जुलाई 2020 तक टैक्स सेविंग स्कीम्स में निवेश कर वित्त वर्ष 2019-20 के लिए टैक्स छूट का लाभ ले सकता है. करदाताओं को टैक्स बचाने के लिए निवेश के कई विकल्प मिलते हैं. इनमें हाउस लोन, एजुकेशन लोन, पीएम केयर्स में दान समेत कई विकल्प हैं.
कार के मेंटिनेंस खर्च और डेप्रिसिएशन कॉस्ट पर भी मिलती है टैक्स छूट
टैक्स बचत के कुछ ऐसे विकल्प भी हैं, जिनको ज्यादातर लोग नजरअंदाज कर देते हैं. क्या आप जानते हैं कि आपकी कार में ईंधन (Fuel) और मेंटिनेंस पर होने वाले सालाना खर्च पर भी इनकम टैक्स छूट (Income Tax Rebate) का दावा किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि आपकी कार का इस्तेमाल कारोबारी गतिविधियों में हो रहा हो. छोटे कारोबारियों के लिए टैक्स छूट के कई प्रावधान है, जिससे वे अपनी कर योग्य आय को वेतनभोगी वर्ग की आमदनी के मुकाबले 10 से 15 फीसदी तक कम कर सकते हैं. छोटे से छोटे कारोबार में ऐसे बहुत से खर्च होते हैं, जिसे टैक्स बचाने के लिए क्लेम किया जा सकता है. इस छूट को बिजनेस एक्सपेंस के तौर पर क्लेम किया जा सकता है.
पेट्रोल डीज़ल पर कैसे मिलेगी टैक्स छूट
कारोबारी लागत/खर्च के तौर पर ऑफिस का किराया, टेलीफोन, इंटरनेट और यात्रा संबंधी खर्चों को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, इनमें किसी भी निजी खर्च को शामिल नहीं किया जा सकता है. करदाता कारोबार में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर, फर्नीचर की कीमत में होने वाली कमी पर भी टैक्स छूट का दावा कर सकता है. यहां तक कि कारोबारी गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाली कार के ईंधन पर होने वाले सालाना खर्च पर टैक्स रीबेट ली जा सकती है. साथ ही ऐसी कार की कीमत में हर साल होने वाली कमी पर भी टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है. बता दें कि ईंधन पर निश्चित राशि तक ही छूट मिलती है, जबकि डेप्रिसिएशन कॉस्ट भी कार के मूल्य की 15-20 फीसदी ही होती है.
ITR भरते समय सभी खर्चों का बिल देना जरूरी
इनकम टैक्स में छूट का दावा करने के लिए इन सभी चीजों का बिल देना होगा. इस पर कोई फर्जी दावा नहीं किया जा सकता है. वहीं, कारोबारी को इन सभी चीजों पर इनकम टैक्स छूट का दावा करने से पहले इन्हें आईटीआर भरते समय कारोबार की लागत की तौर पर दिखाना होगा. इसके लिए हर चीज का पुख्ता दस्तावेज होना जरूरी है. यही नहीं, अगर किसी को कारोबार में घाटा हो जाए तो वह निश्चित अवधि तक उस नुकसान को कैरी फॉरवर्ड कर सकता है. साथ ही उसी हिसाब से कैपिटल गेन को समायोजित कर टैक्स में छूट का फायदा ले सकता है. अगर कारोबारी ने कर्मचारी भी रखे हुए हैं तो कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन पर टैक्स छूट का प्रावधान है. बता दें कि कोई भी दावा फर्जी पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है.