नई दिल्ली. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने सोमवार को ऐलान किया एसेसमेंट ईयर 2015-16 से लेकर 2019-20 के बीच पेंडिंग ई-फाइल्ड टैक्स रिटर्न्स के वेरिफिकेशन (ITR Verification) में एक बार की छूट दी जाएगी. CBDT ने यह राहत ITR-V नहीं भरे जाने की वजह से दी है. CBDT ने कहा कि टैक्सपेयर्स की तरफ से ITR-V की वैलिड रसीद नहीं मिलने की वजह बड़े स्तर पर ई-फाइलिंग के जरिए दाखिल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न विभाग (Income Tax Department) के पास पेंडिंग पड़े हैं. दरअसल, कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन की वजह से यह समस्या खड़ी हुई है.
सितंबर तक का मौका
CBDT ने बताया कि जिन टैक्सपेयर्स ने अपने रिटर्न्स को वेरिफाई नहीं किया है उन्हें सितंबर के अंत तक इसे वेरिफाई कराने का मौका दिया जा रहा है. टैक्सपेयर्स ITR-V form की साइन्ड कॉपी इनकम टैक्स विभाग को भेज सकते हैं या 5 इलेक्ट्रॉनिम माध्यम में से किसी भी तरीके से वेरिफाई करा सकते हैं.
क्यों जरूरी है यह वेरिफिकेशन?
चूंकि, इलेक्ट्रॉनिक तौर फाइल किए गए रिटर्न पर टैक्सपेयर्स के हस्ताक्षर नहीं होते हैं, इसलिए जरूरी है कि टैक्सपेयर्स अन्य माध्यमों से इसका वेरिफिकेशन करें ताकि उनके रिटर्न क्लेम को प्रोसेस किया जा सके. यह वेरिफिकेशन इसलिए किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि टैक्सपेयर द्वारा दी गई जानकारी सही है.
इन माध्यमों से कर सकते हैं वेरिफाई
CBDT ने अपनी तरफ से जारी किए गए सकुर्लर में कहा है कि अधूरे रिटर्न फॉर्म्स को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी वेरिफाई किया जा सकता है. इसके लिए आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर पर पासवर्ड प्राप्त कर, नेट बैंकिंग या बैंक अकाउंट नंबर के जरिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लॉगिन कर, डिमैट नंबर के जरिए या फिर एटीएम द्वारा कैश डिस्पेंसर्स की मदद से इसे वेरिफाई किया जा सकता है.
नहीं किया वेरिफिकेश तो होगी कानूनी कार्रवाई
आमतौर पर टैक्सपेयर्स के पास इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (e-Filling) से टैक्स रिटर्न फाइल करने के 4 महीने तक इसे वेरिफाई करने का मौका दिया जाता है. अगर इस दौरान वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो कानून के तहत विभाग टैक्सपेयर पर फाइलिंग कर्तव्य को पूरा नहीं करने के लिए कार्रवाई कर सकता है.
इन्हें नहीं मिलेगी राहत
हालांकि, यह राहत उन मामलों के लिए नहीं होगा, जहां अधिकारियों ने अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाया है. कुछ मामलों में टैक्सपेयर्स की वजह से वेरिफिकेशन प्रक्रिया में देरी की गई है और इसकी वजह से अधिकारियों ने कदम उठाए हैं. इन्हें आज ऐलान किए छूअ की अवधि से बाहर रखा जाएगा और रिफंड पर ब्याज वसूला जाएगा.
सीबीडीटी ने कहा है कि इस तरह को रिटर्न्स को वेरिफाई करने और ऐसे रिटर्न्स को रेगुलराइज करने के लिए एक बार का मौका दिया जा रहा है. साथ में यह भी चेतावनी दी है कि अगर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से टैक्स को सितंबर अंत तक रेगुलराइज नहीं किया जाता है तो कानूनी प्रावधान के उचित कदम उठाया जाएगा.