सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-4 व्हीकल्स की बिक्री को लेकर 27 मार्च को दिया गया अपना आदेश वापस ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन खत्म होने के बाद 10 दिन के लिए दिल्ली-एनसीआर के अलावा देश के शेष हिस्सों में बीएस-4 वाहनों की बिक्री हो सकेगी. लेकिन बिक्री बचे हुए स्टॉक के केवल 10 फीसदी तक ही सीमित रहनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के पीछे कारण था कि बीएस4 व्हीकल्स की बिक्री को 31 मार्च 2020 तक अनुमति थी लेकिन मार्च पूरा होने के 6 दिन पहले 25 मार्च से कोविड19 लॉकडाउन लागू होने से बिक्री नहीं हो सकती थी.
लेकिन अब कोर्ट ने इस फैसले का वापस ले लिया है. कोर्ट ने बुधवार को कहा कि इस साल 31 मार्च के बाद बेचे गए बीएस 4 मानक वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि ऑटोमोबाइल विक्रेताओं ने उसके निर्देशों का उल्लंघन किया है और लॉकडाउन के दौरान मार्च के अंतिम सप्ताह और 31 मार्च के बाद भी बीएस4 मानक वाले वाहनों की बिक्री की गई.
पीठ ने कहा कि मार्च के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने के दौरान बीएस-4 मानक वाले वाहनों की बिक्री बढ़ी थी और यहां तक कि इनकी ऑनलाइन भी बिक्री की गई थी. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘छल करके इस न्यायालय का लाभ न उठाएं.’
केवल इन BS-4 वाहनों के पंजीकरण की अनुमति
पीठ ने कहा कि मार्च के अंतिम सप्ताह और 31 मार्च के बाद भी बेचे गए बीएस-4 मानक वाले वाहनों के पंजीकरण के लिए अब आदेश का अनुरोध किया जा रहा है. भारत सरकार के ई-वाहन पोर्टल पर 17,000 से अधिक वाहनों का विवरण अपलोड नहीं किया गया है. पीठ ने कहा कि वह सरकार से कहेगी कि ई-वाहनों के आंकड़ों की जांच करे और 31 मार्च के बाद पोर्टल पर अपलोड किए गए वाहनों का डेटा कोर्ट के समक्ष पेश करे. पीठ ने कहा कि वह सिर्फ उन्हीं BS-4 वाहनों के पंजीकरण की अनुमति देगी, जिनका विवरण 31 मार्च तक ई-वाहन पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका था. इसके साथ ही न्यायालय ने आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन से कहा कि वह बेचे गये वाहनों का विवरण सरकार को मुहैया कराये. न्यायलाय इस मामले में अब 23 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा.