नई दिल्ली: भारतीय वास्तु शास्त्र पूरी तरह से पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश पांच तत्वों पर आधारित है. इसमें से किसी भी एक तत्व की कमी होने पर चीजें बिगड़ने लगती हैं. फिर चाहे मनुष्य हो, उसका मकान हो या फिर दुकान. यदि आपके कारोबार, बिजनेस आदि में समस्याएं आ रही हैं और तमाम प्रयासों के बावजूद लाभ की बजाय घाटा हो रहा है तो आपको एक बार अपने कार्य क्षेत्र के वास्तु दोष पर विचार जरूर करना चाहिए. कार्यक्षेत्र का वास्तुदोष ना सिर्फ उस स्थान के मालिक पर बल्कि वहां पर कार्य करने वाले लोगों पर भी पड़ता है. ऐसे में यदि अपको लगता है कि खूब मेहनत और धन खर्च करने के बाद भी आपका व्यवसाय सही तरीके से नहीं चल पा रहा है तो आपको इन वास्तु उपायों को जरूर करना चाहिए-
1. वास्तु के अनुसार व्यापार-कारोबार में बढ़त के लिए कार्यस्थल में टेबल पर स्फटिक, श्रीयंत्र, क्रिस्टल बॉल, स्फटिक कच्छप श्रीयंत्र आदि रखना शुभ होता है.
2. वास्तु के अनुसार कार्यस्थल में टेबल या किसी अन्य स्थान पर काले रंग का शीशा लगवाने से बचें. इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है जिससे कारोबार में कमी आती है.
3. कार्यस्थल के दरवाजे, खिड़की, आलमारी ना तो टूटे हुए हों और ना ही उनके खुलते समय उनमें आवाज आए. टूटे हुए खिड़की दरवाजे, फर्नीचर आदि अशुभ साबित होते हैं.
4. यदि आपको लगता है कि आपकी दुकान, फैक्ट्री आदि में वास्तुदोष के कारण काम-धंधा सही नहीं चल रहा है तो आप अपने कार्यस्थल पर पांचजन्य शंख पूजित करवा कर रखें और नित्य उसकी पूजा करें.
5. वास्तु के अनुसार कारोबार में तरक्की के लिए अपने कार्यस्थल में गहरे रंग की बजाय सफेद, क्रीम जैसे हल्के रंगों से पुताई करवाएं. ये रंग आपके कार्यक्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा क संचार करने में सहायक होंगे.
6. अपने कार्यक्षेत्र में दरवाजा लगवाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि वह हमेशा भीतर की तरफ खुले.
7. कार्यस्थल में धन रखने का स्थान का चयन करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि तिजोरी या कैश काउंटर का मुंह उत्तर दिशा की ओर रहे. वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा मानी गई है.
8. वास्तु के अनुसार कार्यक्षेत्र में मीटिंग रूम की मेज हमेशा आयताकार बनवाना चाहिए.
9. कार्यक्षेत्र के मालिक के बैठने के स्थान के ठीक पीछे मंदिर या फिर पूजा का स्थान नहीं होना चाहिए.
10. व्यापार में तरक्की और नजरदोष को दूर करने के लिए कार्यस्थल में ‘U’ के आकार में घोड़े की नाल लगाएं. साथ ही व्यापार वृद्धि यंत्र को किसी पंडित से पूजा करवा के लगवाएं और प्रतिदिन उसकी पूजा करें.