मोदी कैबिनेट ने बुधवार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना या आत्मनिर्भर भारत के तहत ईपीएफ योगदान में राहत को तीन महीने और बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. केंद्राय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी दी. इसके तहत सरकार अगले तीन और महीने तक नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड (EPF) योगदान देना जारी रखेगी, जो कुल मिलाकर 24 फीसदी (12%+12%) होगा. सरकार जून, जुलाई और अगस्त के लिए भी योगदान देगी.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इसमें कुल 4,860 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है और इस कदम से 72 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होगा.
आर्थिक पैकेज में हुआ था एलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में आर्थिक पैकेज का एलान करते समय पीएफ के मोर्चे पर कर्मचारियों और कंपनियों को यह राहत दी थी. उन्होंने बताया था कि यह उन संस्थाओं के लिए है, जिनके पास 100 कर्मचारी तक मौजूद हैं जो इनमें से 90 फीसदी 15 हजार रुपये से कम महीने में कमाते हैं.
ईपीएफ योगदान को भी घटाया गया था
आर्थिक पैकेज का एलान करते हुए मोदी सरकार ने राहत देते हुए एक और बड़ा फैसला किया था. सरकार ने संस्थानों और कर्मचारियों के लिए अगले तीन महीने तक ईपीएफ योगदान को 12-12 फीसदी से घटाकर 10-10 फीसदी कर दिया गया था. सरकारी कंपनियों के लिए यह 12-12 फीसदी ही रहेगा. इससे 6750 करोड़ रुपये का लिक्विडटी सपोर्ट मिलेगा.
इस एलान से ईपीएफओ में कवर होने वाली लगभग 6.5 लाख कंपनियों और 4.3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. यह स्कीम उन कर्मचारियों पर लागू होगी जो पीएम गरीब कल्याण पैकेज और उसके विस्तार के तहत 24 फीसदी का ईपीएफ सपोर्ट नहीं ले रहे हैं. इसका मकसद कर्मचारियों की घर ले जाने वाली सैलरी को बढ़ाना और नियोक्ताओं को पीएफ बकाया के भुगतान के मोर्चे पर राहत देना है.