पीयूष गोयल की अगुवाई में भारतीय रेलवे एक प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है जिससे अंत में ज्यादा डिमांड वाले रेलवे रूट पर वेटलिस्ट टिकटों की जरूरत खत्म हो जाएगी. रेलवे इसके लिए मुख्य रेलवे रूट्स पर निजी ट्रेनों को लाएगा. भारतीय रेलवे ने 30,000 करोड़ रुपये के प्राइवेट ट्रेन प्रॉजेक्ट की शुरुआत 109 जोड़ी रूट्स पर रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशंस (RFQs) को आमंत्रित करके कर दी है.
डिमांड को पूरा करने में मिलेगी मदद
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने कहा कि निजी ट्रेनों का आइडिया है कि वे सभी बड़े अधिक डिमांड वाले रूट्स पर सभी मुसाफिरों को कन्फर्म सीट उपलब्ध करा सकें. भारतीय रेलवे जिन ट्रनों को पहले से चला रही है, उनके अलावा ये निजी ट्रेनें इस डिमांड को पूरा करने में मदद करेंगी.
भारतीय रेलवे ने 109 जोड़ी रूट्स को 12 कलस्टर में विभाजित किया है. किसी भी एक कलस्टर के लिए शॉर्टलिस्ट की गई निजी इकाई को अपनी खुद की ट्रेनों का इस्तेमाल करना होगा जो भारतीय रेलवे के स्टैंडर्ड्स को पूरा करती हों. निजी सेक्टर मेक इन इंडिया मुहिम के तहत लगभग 150 मॉडर्न वर्ल्ड क्लास ट्रेनों को पेश कर सकता है. इन 150 ट्रेनों में से अधिकतर ट्रेनें कम से कम 16 कोच के साथ होंगी और इनका निर्माण भारत में किया जाएगा. ट्रेनों का लक्ष्य मुसाफिरों के अनुभव को बेहतर करने के साथ मुसाफिरों के लिए यात्रा के समय को कम करना होगा. ट्रेनों की क्षमता 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को हासिल करने की होगी.
पहली ट्रेन 2023 में दौड़ेगी
वीके यादव के मुताबिक पहली निजी ट्रेन अप्रैल 2023 के आसापस दौड़ेगी. वित्तीय बोलियों को आने वाले महीनों में आमंत्रित किया जाएगा और एक कलस्टर के लिए निजी इकाई के चुने जाने के बाद कंपनी नई ट्रेनों के लिए डिजाइन को साझा करेगी. ये डिजाइन भारतीय रेलवे द्वारा दिए गए स्पेसिफिकेशन्स के मुताबिक होंगे. एक बार डिजाइन के मंजूर हो जाने के बाद, निजी कंपनी इन वर्ल्ड क्लास ट्रेन का निर्माण करेगी. इन ट्रेनों में से अधिकतर का निर्माण भारत में होगा लेकिन शुरुआती तौर पर, अगर निजी इकाई विदेशी ऑरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर है, तो उनका निर्यात किया जा सकता है.