नई दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020 में वैयक्तिक करदाता (Individual Taxpayers) के लिए कर निर्धारण की खास सुविधा दी है. इसके तहत कोई टैक्सपेयर अपनी जरूरत के मुताबिक बजट 2020 में घोषित नई इनकम टैक्स (New Tax Regime) व्यवस्था या बजट 2019 की पुरानी टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) में किसी एक विकल्प का चुनाव कर सकता है. वहीं, अगर करदाता नई टैक्स व्यवस्था का चुनाव करता है और बाद में उसे पुरानी व्यवस्था ही ठीक लगती है तो फिर वापसी कर सकता है. हालांकि, सैलरी और बिजनेस से इनकम वाले Individual Taxpayer के लिए नियम अलग हैं.
Salaried Taxpayer हर साल बदल सकते हैं Tax Regime
नए नियम के मुताबिक वेतनभोगी करदाता जब चाह नई से पुरानी और पुरानी से नई टैक्स व्यवस्था के विकल्प का चुनाव कर सकता है. नई टैक्स व्यवस्था में दरें कम हैं, लेकिन इसे चुनने पर एग्जेम्पशन (Exemptions) और डिडक्शन (Deductions) से हाथ धोना पड़ेगा. हालांकि, सुविधा के अनुसार टैक्स की इन व्यवस्थाओं को चुनने से पहले एक ऐसी शर्त है जिसे पूरा करना जरूरी है. इसके मुताबिक, नौकरीपेशा और पेंशनर भी हर साल अपनी सुविधा के अनुसार नई से पुरानी और पुरानी से नई टैक्स व्यवस्था में तभी जा सकेंगे, जब उनकी बिजनेस इनकम नहीं हो.
कंसल्टेंसी और फ्रीलांस आय वाले हर साल नहीं कर सकते स्विच
कंसल्टेंसी से आय (Income from Consultancy) वाले करदाताओं की इनकम बिजनेस इनकम (Business Income) के तौर पर ली जाती है. यह सैलरी से इनकम की श्रेणी में नहीं आती है. ऐसे में जो लोग कंसल्टेंट की तरह काम करते हैं, उन्हें हर साल नई से पुरानी और पुरानी से नई व्यवस्था में स्विच करने की इजाजत नहीं होगी. नौकरीपेशा (Employees) और पेंशनर (Pensioner) के उलट ऐसे वेतनभोगी करदाता जिनकी फ्रीलांस गतिविधियों (Freelance Activities) से भी कमाई है, उनके पास हर साल स्विच करने का विकल्प नहीं होगा.
Businessmen एक बार टैक्स व्यवस्था में कर सकते हैं चुनाव
कारोबार से आय वाले (Income from Business) करदाताओं के पास नई या पुरानी व्यवस्था में किसी विकल्प को चुनने का सिर्फ एक मौका होगा. आसान शब्दों में समझें तो कारोबार से आय वाले करदाता अगर इस बार नई व्यवस्था का चुनाव करते हैं और जरूरत महसूस होने पर अगले साल फिर पुरानी टैक्स व्यवस्था में लौट जाते हैं तो वह फिर नई व्यवस्था का विकल्प नहीं चुन पाएंगे. वहीं, अगर किसी व्यक्ति की भविष्य में बिजनेस से इनकम रुक जाती है तो उनके पास हर साल नई और पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था को चुनने का विकल्प रहेगा.
ऐसे करदाताओं के लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था ही बेहतर विकल्प
अगर आपकी कुल आय 10 लाख रुपये या इससे ऊपर है और आप आयकर अधिनियम, 1961 की धारा-80सी, 80डी, और 24(बी) के तहत छूट का लाभ लेते हैं तो आपके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था बेहतर है. वहीं, अगर कोई व्यक्ति मध्यम-आय वर्ग का है और उसकी कुल आय 5 लाख रुपये है तो उसके लिए नई कर व्यवस्था फायदेमंद हो सकती है. अगर आप टैक्स सेविंग स्कीम्स में निवेश करते हैं, हाउस लोन/एजुकेशन लोन की ईएमआई भर रहे हैं, बच्चों की ट्यूशन का भुगतान करते हैं तो भी पुरानी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर रहेगी.