नई दिल्ली: रविवार 21 जून को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण प्रातः 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा और दोपहर 3 बजकर 5 मिनट तक रहेगा. इसका सूतक 20 जून शनिवार की रात्रि 9.15 बजे आरंभ हो जाएगा. रविवार को यह वलयाकार ग्रहण दोपहर 12:15 पर चरम सीमा पर होगा.
क्या सब ग्रहण अनिष्टकारी होते हैं?
ग्रहण तो हर साल होते हैं लेकिन 21 जून का ग्रहण कुछ दुर्लभ ज्योतिषीय समीकरणों के साथ है. ऐसे संयोग हर बार नहीं होते. किसी-किसी सदी में ही होते हैं और दुर्योगवश हम इसके साक्षी बनेंगे. जब भी गुरु और शनि मकर राशि में आए हैं, वे पूरे विश्व में हाहाकार मचा के गए हैं. कोरेाना भी 26 दिसंबर 2019 के सूर्य ग्रहण के बाद खूब फैला.
यह सत्य है कि किसी भी ग्रहण के फल अच्छे नहीं होते. मत्स्य पुराण के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को राहू-केतु ने छीन लिया था तब से ग्रहण की कथा और इतिहास चला आ रहा है. द्रौपदी के अपमान का दिन सूर्य ग्रहण का था. महाभारत का 14वां दिन सूर्य ग्रहण का था और पूर्ण ग्रहण पर अंधेरा होने पर जयद्रथ का वध किया गया. जिस दिन श्री कृष्ण की द्वारिका डूबी वह भी सूर्य ग्रहण का दिन ही था.
25 साल पहले घटित 1995 के ग्रहण के चलते दिन में ही अंधेरा छा गया था. पक्षी घोंसलों में लौट आए थे. हवा ठंडी हो गई थी.
सूर्य ग्रहण का समय
– ग्रहण प्रारम्भ काल: 9:15
– कंकण आरंभ: 10:17
– परम ग्रास: 12:10
– कंकण समाप्त: 14:02
– ग्रहण समाप्ति काल: 15:05
– खण्डग्रास की अवधि: 3 घंटे 28 मिनट 36 सेकेंड
सूर्य ग्रहण का सूतक काल
सूतक प्रारम्भ: 21:15, जून 20
सूतक समाप्त: 15:05 जून 21
ग्रहण के दौरान क्या करें?
– बालक, वृद्ध एवं रोगी को छोड़कर अन्य किसी को भोजन नहीं करना चाहिए.
– इस दौरान खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते या कुशा रखनी चाहिए.
– गर्भवती महिलाओं को खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए.
– सूर्य ग्रहण के अशुभ असर से बचने के लिए प्रभावित राशि वाले लोगों को ग्रहण काल के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए या सुन भी सकते हैं.
– जरुरतमंद लोगों को अनाज दान करें. ग्रहण से पहले तोड़कर रखा हुआ तुलसी पत्र ग्रहण काल के दौरान खाने से अशुभ असर नहीं होता.
– ग्रहण के समय मानसिक रूप से मंत्रों का जाप कर सकते हैं. जैसे राम नाम, ओम् नम: शिवाय, सीताराम, श्री गणेशाय नम: आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं. आप चाहे तो अपने इष्टदेव का ध्यान भी कर सकते हैं.
– सूतक काल के पहले तैयार भोजन को खाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डालकर शुद्ध करें.
– सूर्य ग्रहण लगने और खत्म होने के दौरान सूर्य मन्त्र ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ के अलावा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का धीमे-धीमे मगर शुद्ध जाप करें.
– संयम के साथ जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है. ग्रहण काल के दौरान कमाया गया पुण्य अक्षय होता है. इसका पुण्य प्रताप अवश्य प्राप्त होता है.
– ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई करनी चाहिए. घर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्नान करना चाहिए. पूजा-पाठ करना चाहिए.
– ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है.
– ग्रहण के बाद पुराना पानी और अन्न फेक देना चाहिए. नया भोजन पकाकर खाएं और ताजा पानी भरकर पिएं.
– ग्रहण के बाद गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है.
ग्रहण के दौरान क्या न करें?
– नग्न आंखों से ग्रहण देखने पर आंखों को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए दूरबीन, टेलीस्कोप, ऑप्टिकल कैमरा व्यूफाइंडर से सूर्य ग्रहण को देखना सुरक्षित है.
– ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. क्योंकि ऐसे समय में सूर्य से हानिकारक तरंगें निकलती हैं जो कि मां और बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक होती हैं. चाकू का प्रयोग नहीं करना है. इस दौरान सब्जी फल आदि नहीं काटना है.
– तेल मालिश नहीं करना चाहिए.
– ग्रहण के दौरान लोगों को पानी पीने से भी बचना चाहिए. ग्रहण खत्म होने तक भोजन नहीं पकाया जाता है.
– ग्रहण काल में किसी भी नए कार्य का शुभारंभ न करें.
– ग्रहण काल की अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
– सूतक काल में पाठ-पूजा की जाती है. देवी देवताओं की मूर्तियां छूना नहीं चाहिए.
– सूतक के दौरान भोजन बनाना और भोजन करना वर्जित माना जाता है.
– सूर्य ग्रहण के दौरान फूल, पत्ते, लकड़ी आदि नहीं तोड़ने चाहिए.
– इस दिन न बाल धोने चाहिए ना ही वस्त्र.
– ग्रहण के समय सोना, शौच, खाना, पीना, किसी भी तरह के वस्तु की खरीदारी से बचना चाहिए.
– सूर्यग्रहण में बाल अथवा दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए, ना ही बालों अथवा हाथों में मेहंदी लगवानी चाहिए.
– सर्यग्रहण के दरम्यान उधार लेन-देन से बचना चाहिए. उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी नाराज होती हैं.