नई दिल्ली. मार्च के अंतिम सप्ताह में पहली बार देशभर में लॉकडाउन के ऐलान के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने करोड़ों बैंक अकाउंट होल्डर्स के लिये एक खास ऐलान किया था. वित्त मंत्री ने 24 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंंस में बताया कि किसी भी बैंक सेंविंग्स अकाउंट में तीन महीनों के लिये ‘औसत न्यूनतम बैलेंस’ (AMB- Average Minimum Balance) रखने की अनिवार्यता नहीं होगी. यह अप्रैल, मई और जून के लिये लागू हुआ था. अभी तक वित्त मंत्रालय या किसी भी बैंक की तरफ से इस बारे में स्पष्टता नहीं मिली है कि इस छूट को आगे भी बढ़ाया जायेगा या नहीं.
सरकार के इस फैसले का मतलब था कि अगर इन तीन महीनों के दौरान किसी बैंक अकाउंट (Savings Bank Account) में औसत न्यूनतम बैलेंस नहीं रहता है तो बैंक इसपर पेनाल्टी नहीं वसूल सकेंगे. हर बैंक अपने हिसाब से न्यूनतम बैलेंस तय करता है. इन औसत रकम को हर महीने अकाउंट में मेंटेन करना होता है. ऐसा नहीं करने पर बैंक ग्राहकों से पेनाल्टी वसूलता है. लेकिन, अब तक इस छूट को जून से आगे बढ़ाने के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
एसबीआई नहीं वसूलेगा मिनिमम बैलेंस चार्ज
केंद्र सरकार के ऐलान के पहले ही भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने कहा था कि वो सभी सेविंग्स बैंक अकाउंट पर औसत न्यूनतम बैलेंस की बाध्यता को खत्म कर रहा है. देश के इस सबसे बड़े बैंक ने 11 मार्च को एक बयान जारी कर कहा, ‘एसबीआई के सभी 44.51 करोड़ सेविंग्स बैंक अकाउंट पर औसत न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर कोई चार्ज नहीं लिया जायेगा.’ इसके पहले मेट्रो शहरों में एसबीआई सेविंग्स आकउंट में न्यूनतम 3,000 रुपये रखना अनिवार्य था. इसी प्रकार अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये यह रकम क्रमश: 2,000 रुपये और 1,000 रुपये था. मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर एसबीआई ग्राहकों से 5-15 रुपये प्लस टैक्स वसूलता था.
एटीएम विड्रॉल चार्ज से भी मिली थी राहत
औसत न्यूनतम बैलेंस के साथ ही केंद्र सरकार ने एटीएम से कैश विड्रॉल (ATM Withdrawal Charge) पर लगने वाले चार्ज से भी राहत दी थी. वित्त मंत्री ने कहा कि डेबिट कार्ड होल्डर्स तीन महीनों के लिए किसी भी बैंक के एटीएम से कैश विड्रॉल कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें कोई चार्ज नहीं देना होगा. इस दौरान वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया था कि यह फैसला इसलिये लिया गया है ताकि कैश निकालने के लिए कम से कम संख्या में लोग बैंक शाखाओं में जायें.
प्राइवेट सेक्टर के दो बड़े बैंकों की बात करें तो HDFC Bank और ICICI Bank मिनिमम बैलेंस अनिवार्य रखते हैं. ऐसा नहीं करने पर ग्राहकों से एक तय चार्ज वूसला जाता है. हालांकि, सरकार द्वारा तीन महीनों की छूट इन बैंकों पर भी लागू है. आइए जानते हैं इन दोनों बैंकों में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता के क्या नियम हैं.
एचडीएफसी बैंक में क्या हैं मिनिमम बैलेंस का नियम?
अगर मेट्रो या शहरी क्षेत्रों में किसी ग्राहक ने एचडीएफसी बैंक में सेविंग्स अकाउंट खोल रखा है तो उनके लिये अपने खाते में कम से कम 10,000 हजार रुपये हर महीने रखना अनिवार्य है. इसी प्रकार अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में यह लिमिट क्रमश: 5000 रुपये और 2,500 रुपये की है. ग्रामीण क्षेत्रों के सेविंग्स अकांउट में अगर कोई 2,500 रुपये नहीं रखता है तो उन्हें एक साल एक दिन के लिये कम से कम 10,000 रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) करवाना अनिवार्य होता है.
आईसीआईसीआई बैंक में क्या है नियम?
मेट्रो या शहरी क्षेत्रों में आईसीआईसीआई बैंक में सेविंग्स अकाउंट के लिये यह अनिवार्यता 10,000 रुपये की है. अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह 5,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 2,000 रुपये है. कुछ सूदुर ग्रामीण इलाकों में मिनिमम बैलेंस की लिमिट 1,000 रुपये की है. मिनिमम बैलेंस नहीं मेंटेन करने पर आईसीआईसीआई बैंक मेट्रो, शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में ग्राहकों से 100 रुपये और जितनी रकम कम है, उसका 5 फीसदी चार्ज के तौर पर वसूलता है.