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आधार कार्डधारक महिलाओं के लिए LIC की स्पेशल पॉलिसी, सुरक्षा के साथ मिलता है बोनस

नई दिल्ली. आज के समय में हर शख्स के लिए जीवन बीमा (Life Insurance) जरूरी है. इंश्योरेंस कराने पर आपकी बचत के साथ लाइफ कवर भी मिलता है. देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने लोगों की जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसी पेश किया है. LIC की आधार शिला प्लान (Aadhaar Shila Plan) एक ऐसी ही पॉलिसी है, जो खासकर महिलाओं के लिए बनाई गई है. यह पॉलिसी उन महिलाओं के लिए तैयार की गई है, जिनके पास यूआईडीएआई (UIDAI) द्वारा जारी आधार कार्ड (Aadhaar Card) है.

LIC की Aadhaar Shila Plan एक गारंटीड रिटर्न एंडोमेंट प्लान है. ये मार्केट से जुड़ी हुई योजना नहीं है. इसमें आपको बोनस की सुविधा का लाभ दिया जाता है. LIC की आधार शिला योजना आपको एक ही समय पर सुरक्षा के साथ बचत भी प्रदान करती है. यह योजना मैच्योरिटी से पहले आपकी आपके न रहने पर आपके परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करती है. अगर आप पॉलिसी अवधि तक जीवित रहती हैं तो आपको मैच्योरिटी पर एक निर्धारित राशि का भुगतान किया जाता है.

LIC आधार शिला योजना के बेनिफिट्स-

1. डेथ बेनिफिट
A) अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु पॉलिसी प्रारंभ होने के पहले 5 वर्ष में होती है तो, उसे मृत्यु पर मिलनेवाले लाभ का भुगतान किया जाता है.
B) अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु, पॉलिसी शुरू होने के 5 वर्ष बाद लेकिन मेच्योरिटी से पहले होती है, तो उसके नॉमिनी को मृत्यु पर मिलनेवाला बीमित रकम के साथ लॉयल्टी एडिसन्स (अगर कुछ है तो) का भी भुगतान किया जाता है.

यहां पर मृत्यु पर मिलनेवाले बीमित रकम का अर्थ है, निम्नलिखित में से अधिकतम:

>> वार्षिक प्रीमियम का 10 गुणा या
>> मूल बीमित रकम का 110%
>> मृत्यु लाभ, मृत्यु तक भरे हुए कुल प्रीमियम के 105% से कम नहीं होना चाहिए.

2. मैच्योरिटी लाभ
अगर पालिसी धारक पूरे पालिसी अवधि तक जीवित रहती है और उसने अपने सारे बकाया प्रीमियम का भुगतान किया है, तो उसे मैच्योरिटी(परिप्कवता) पर मिलनेवाले बीमित रकम के साथ लॉयल्टी एडीशन (अगर कुछ है तो) का भी भुगतान किया जाता है. यहाँ पर मैचुरिटी पर मिलनेवाला बीमित रकम का अर्थ मूल बीमित रकम होता है.

3. लॉयल्टी एडीशन
अगर आप पालिसी में 5 वर्ष तक बने रहते हैं, और आपने सारे प्रीमियम्स का भुगतान किया है, तो इस योजना के तहत आपकी पालिसी अवधि के दौरान मृत्यु होने पर या मैचुरिटी पर, लॉयल्टी एडीशन पाने के योग्य होते हैं. आपको मिलने वाले लॉयल्टी एडीशन के दर की घोषणा एलआईसी द्वारा की जाती है. अगर आपकी पालिसी पेड- अप पालिसी में बदल चुकी है, तो आपको उतने ही पालिसी अवधि का लॉयल्टी एडीशन मिलेगा जितनी अवधि तक आप पालिसी में बने हुए थे.

योग्यता की शर्तें-

बीमित रकम: न्यूनतम- 75,000 रुपये, अधिकतम- 3,00,000 रुपये
पॉलिसी अवधि: 10-20 वर्ष
प्रीमियम भुगतान की अवधि: चुने गए पालिसी अवधि तक
पॉलिसी धारक की प्रवेश आयु: 8 से 55 वर्ष
मैचुरिटी पर आयु: 70 वर्ष
पेमेंट भुगतान मोड: वार्षिक, अर्ध वार्षिक, त्रैमासिक या मासिक

योजना के तहत अन्य शर्तें-

रिवाइवल- ऐसी पॉलिसी जो बंद हो गई है, और पेड अप पर चल रही है, उसको फिर से रिवाइव किया जा सकता है. पर इसे पुनर्जीवित आखिरी भरे हुए प्रीमियम से दो साल के भीतर ही किया जा सकता है. इसके लिए बकाया प्रीमियम के साथ उसपर लगे हुए ब्याज का भी भुगतान करना होता है.

ग्रेस पीरियड- नियमित रूप से तय तारीख पर प्रीमियम का भुगतान आवश्यक है. अगर किसी कारणवश तय तारीख पर आप प्रीमियम का भुगतान नहीं कर सके, तो एलआईसी द्वारा आपको प्रीमियम के भुगतान के लिए अतिरिक्त समय दिया जाता है. यह समय 30 दिन और 15 दिन का होता है. 30 दिन का अतिरिक्त समय उनको दिया जाता है जो वार्षिक, छमाही या तिमाही तौर पर प्रीमियम का भुगतान करते हैं. 15 दिन का अतिरिक्त समय उनको दिया जाता है जो मासिक तौर पर प्रीमियम का भुगतान करते हैं.

पेड अप वैल्यू- अगर ग्रेस पीरियड में भी प्रीमियम का भुगतान नहीं किया जाता है, तो पॉलिसी बंद हो जाती है. अगर कम से कम तीन वर्षों के प्रीमियम का भुगतान किया गया है, तो तो पॉलिसी, पेड अप पॉलिसी में बदल जाती है. इस पेड अप पॉलिसी में मिलनेवाली राशि के भुगतान की गणना इस प्रकार है, बीमित रकम को भुगतान की गई प्रीमियम और वास्तविक देय प्रीमियम के अनुपात से कम किया जाता है. इस गणना से जो रकम मिलती है उसमें जमा हुआ बोनस भी जोड़ा जाता है. पेड अप पॉलिसी में भविष्य में मिलनेवाला बोनस नहीं जोड़ा जाता है. और इस पेड अप रकम का भुगतान एलआईसी द्वारा मेच्योरिटी या मृत्यु पर किया जाता है.

सरेंडर वैल्यू- अगर पॉलिसी धारक चाहे तो पालिसी सरेंडर कर सकता है, और सरेंडर मुल्य प्राप्त कर सकता है. लेकिन सरेंडर मुल्य तभी लागू होती है जब आपने पालिसी के तहत पहले तीन वर्ष का प्रीमियम भरा है. पॉलिसी सरेंडर करने पर गारंटीड सरेंडर वैल्यू और स्पेशल सरेंडर वैल्यू में से जो भी अधिक है उसका भुगतान किया जाता है. इसकी गणना इस प्रकार की जाती है.

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