कोरोना वायरस के संकट के कारण देश में लॉकडाउन लागू किया गया. लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लग गया. जिसके बाद बैंकों की ईएमआई पर भी मोहलत दी गई थी. वहीं अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि लोन मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर छूट से बैंकों की वित्तीय स्थिरता और स्वास्थ्य को खतरा होगा.
कोरोना वायरस के दौरान लागू लॉकडाउन में ईएमआई पर मोहलत दी गई. इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. अपने जवाबी हलफनामे में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि मोरेटोरियम के दौरान लोन पर ब्याज पर छूट से बैंकों की वित्तीय स्थिरता और स्वास्थ्य को खतरा होगा.
दरअसल, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आरबीआई ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था. इसमें बैंकों को तीन महीने की अवधि के लिए किश्तों के भुगतान के लिए मोहलत दी गई थी. वहीं अब आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 6 महीने के लिए ईएमआई देने में छूट की अवधि का ब्याज नहीं लेने से बैंक का काफी नुकसान होगा.
दरअसल, कोरोना वायरस की महामारी के कारण ईएमआई अभी देने की बजाय बाद में देने की छूट दी गयी है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है और मोरेटोरियम अवधि में ब्याज में छूट की मांग की गई है. इसी याचिका पर आरबीआई को जवाब देने के लिए कहा गया था.