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चीन की ‘बैट वुमेन’ का खुलासा, अभी बाकी है कोरोना वायरस की पूरी पिक्चर

चीन के वुहान शहर की जिस लैब से कोरोना वायरस के बाहर निकलने का शक़ है, उसी लैब से अब एक और चेतावनी बाहर निकली है. और वो चेतावनी ये है कि चमगादड़ से पैदा हुआ कोरोना तो महज़ एक शुरुआत है. अभी इस चमगदाड़ से सैकड़ों कोरोना वायरस का बाहर निकलना बाकी है. इस चेतावनी को दुनिया हलके में कतई नहीं ले सकती. जानते हैं क्यों? क्योंकि ये चेतावनी वुहान लैब की उस डिप्टी डायरेक्टर की तरफ से आई है जिनके बारे में कहा जाता है कि चमगादड़ों से पैदा होने वाले वायरस को पहचानने के मामले में पूरी दुनिया में इन जैसा कोई दूसरा है ही नहीं. इसीलिए दुनिया इन्हें बैट वुमेन भी बुलाती है.

जिस कोरोना के राज़ का सच पूरी दुनिया जानना चाहती है, डॉ. शी झेंगली उसी कोरोना की हमराज़ है. जी हां, वो चीन के उसी वुहान लैब की डिप्टी डायरेक्टर हैं, जिस लैब को कोरोना फैलाने का जिम्मेदार माना जा रहा है. डाक्टर शी झेंगली चीन समेत पूरी दुनिया में बैट वुमेन के नाम से भी जानी जाती हैं. बैट वुमेन का नाम इन्हें इसलिए दिया गया है क्योंकि कहा जाता है कि चमगादड़ और चमगादड़ से जुड़े वायरस के बारे में जितनी जानकारी ये रखती हैं, उतनी दुनिया में कोई और नहीं रखता. कोरोना फैलने के बाद ये पहला मौका है जब वुहान लैब की डिप्टी डायरेक्टर और बैट वुमेन डॉ शी झेंगली दुनिया के सामने आई हैं.

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चमगादड़ों से पैदा होने वाले वायरस को पहचानने के मामले में पूरी दुनिया में इनका कोई सानी नहीं है. इसलिए ये जो कह रही हैं. उसे गौर से सुनना चाहिए. ये कह रही हैं कि कोरोना का कहर जो अभी दुनिया पर टूटा है वो महज़ तिनके की नोक के बराबर है. कोरोना वायरस से फैली इस महामारी को ये अभी बस ट्रेलर बता रही हैं. इनका कहना है कि कोरोना की पूरी पिक्चर आनी तो अभी बाकी है.

डिप्टी डायरेक्टर डॉ शी झेंगली के अनुसार ये तो महज़ शुरुआत है. अगर हम इंसानियत को आगे किसी भी तरह के वायरस के प्रकोप से बचाना चाहते हैं. तो हमें इसके लिए पहले से ही जंगली जानवरों के फैलाए अज्ञात वायरस के बारे में जानना चाहिए. अगर हम इनका अध्ययन नहीं करेंगे. तो आगे चल कर फिर कोई दूसरी महामारी फैलेगी.

डॉ शी झेंगली के मुताबिक चमगादड़ जैसे जंगली जानवरों में कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस मौजूद हैं. इसलिए कोरोना वायरस से घबराने के बजाए उसकी असली जड़ को समझना होगा. अगर वक्त रहते ये काम हो गया तो ठीक. वरना अभी दुनिया को कोरोना से भी ज्यादा बड़ी महामारी का सामना करना पड़ सकता है. बकौल डॉ. झेंगली, कोरोना वायरस तो सिर्फ इस समस्या का एक पहलू है. असली समस्या तो इससे काफी बड़ी है. चमगादड़ों में अभी भी कई और खतरनाक वायरस मौजूद हैं. जिनका पता लगाना ज़रूरी है.

वुहान लैब की डिप्टी डायरेक्टर डॉ शी झेंगली के मुताबिक हम लोगों ने 2004 से चमगादड़ों में मौजूद कोरोना वायरस पर अध्ययन करना शुरू किया था. 15 साल बाद हमारी टीम ने इस पर बहुत सारी जानकारियां इकट्ठा की हैं. हमने अपनी टीम में कई प्रतिभावान लोगों को शामिल किया है. इस महामारी से जूझते हुए हमें काफी कम समय में इस अनजान निमोनया के बारे में जानने का मौका मिला.

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बैट वुमन यानी डॉ शी झेंगली ने चीन के एक सरकारी चैनल को दिए इंटव्यू में कहा कि ऐसे वायरसों की खोज के लिए और दुनिया को किसी दूसरी महामारियों से बचाने के लिए. सभी देशों को साथ आना ही होगा. क्योंकि कोरोना के मामले में दुनिया अब तक देख चुकी है कि ये किसी एक देश के लिए खतरा नहीं है. लिहाज़ा ऐसे वायरसों पर रिसर्च इंसानियत के लिए ज़रूरी है. ऐसा करने के लिए दुनिया को किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था का निर्माण करना होगा. जो ऐसी महामारियों से बचाने में मददगार बने.

डिप्टी डायरेक्टर का कहना है कि हमने पहले सोचा कि 15 साल में हमने SARS जैसे वायरस को पहचानने का तरीका खोज लिया. इससे हमें पता चला कि प्रकृति में जेनेटिक विविधिता काफी है. हम इन्हें SARS से संबंधित वायरस कहते है. इस खोज का नतीजा निकला कि SARS और उससे संबंधित वायरस इंसान के लिए खतरनाक हैं.

महामारी फैलने के बाद ये पहला मौका है जब वुहान लैब की डिप्टी डायरेक्टर डॉ शी झेंगली दुनिया के सामने आईं हैं. कोरोना वायरस के वुहान लैब से निकलने की थ्योरी के बाद से ही उन्हें विलेन के तौर पर देखा जा रहा था. खबरें तो ये भी आईं थीं कि बैट वुमन’ कोविड-19 के बारे में खुफिया जानकारी के साथ चीन छोड़ कर किसी पश्चिमी देश में चली गईं हैं. हालांकि बाद में उन्होंने अपनी तस्वीरें जारी कर इन तमाम खबरों को खारिज कर दिया था. साथ ही ये भी कहा कि कम से कम विज्ञान पर सियासत नहीं होनी चाहिए.

इन खबरों के बीच एक सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए डॉ. शी ने लिखा था कि मैं कसम खाती हूं कि कोरोना की इस वैश्विक महामारी का उनकी लैब से कोई लेना देना नहीं है. नोवल कोरोना वायरस और जिन वायरसों पर मेरी टीम रिसर्च करती हैं, उनकी आनुवंशिक विशेषताएं कोविड-19 से मेल नहीं खाती हैं. कोरोना वायरस के फैलने के बाद से ही प्रोफेसर शी झेंगली और उनकी टीम विवादों में हैं. आरोपों की चौतरफा बौछार के बीच अपने इस इंटरव्यू में उन्होंने पूरे घटनाक्रम की टाइमलाइन रखते हुए कहा कि वुहान लैब से वायरस के फैलने की थ्योरी पूरी तरह से गलत है.

चाइना ग्लोबल टेलिवजन नेटवर्क को दिए इंटरव्यू में डॉ झेंगली ने कहा कि कोरोना वायरस के अध्ययन के लिए लैब ने 30 दिसंबर 2019 की दोपहर को पहला सैंपल लिया था. तब इसे निमोनिया के अज्ञात कारण के तौर पर समझा गया था. लेकिन बहुत कम वक्त की रिसर्च में पता चल गया कि ये कोरोना वायरस है. वायरस की सीक्वेंस पहले से अलग था इसलिए इसे कोविड-19 कहा गया. लैब से हर जानकारी और डेटा सही वक्त पर WHO से साझा किया गया. 12 जनवरी को पूरा जीनोम सीक्वेंस डब्ल्यूएचओ को दे दिया गया था.

हालांकि बैट वुमन का ये इंटरव्यू तब सामने आया है. जब चीन की टॉप लीडरशिप राजधानी बीजिंग में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की सालाना बैठक के लिए जुटी हुई है. जाहिर है उनके एजेंडे में इस साल कोरोना वायरस को वुहान लैब से जानबूझकर फैलाने के अमेरिकी आरोपों पर कूटनीतिक रणनीति बनाने के लिए मंथन करना भी शामिल होगा. वैसे चीन बार-बार अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के आरोपों को खारिज करता रहा है. और अब तो उसके मंत्री यहां तक कह रहे हैं कि कोरोना वायरस की पैदाइश के बारे में चीन को भी उतना ही पता है. जितना की दुनिया जानती है. हालांकि चीन ने शुरू से ये लाइन ले रखी थी कि कोरोना वायरस वुहान की फिश मार्केट में काम करने वाली महिला से फैला था.

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ज़ाहिर है चीन के पल-पल बदलते बयान और दुनिया के सवालों का जवाब देने से बचने की उसकी कोशिश इस तरफ इशारा कर रही है कि सब कुछ वैसा नहीं है जैसा कि दिख रहा है. वरना कोविड-19 के खतरे से सबसे पहले आगाह करने वाले डॉक्टर ली का अचानक बीमारी पड़ जाना और फिर मर जाना. वुहान में कोरोना पर अचानक लगाम लग जाना. फिर दुनिया को दिखाने के लिए मरने वालों की तादाद को अचानक बढ़ा देना. और चीन में अचानक होने वाली बहुत सारी चीज़ें उसे शक के दायरे में ना लाती. और अब जब तक इनके जवाब नहीं मिल जाते. चीन को क्लीनचिट नहीं दी जा सकती.

जब से दुनिया ने चीन की वुहान लैब से वायरस फैलने की बात कही है. तब से ही चीनी सरकार कोरोना वायरस की अलग अलग थ्योरी पेश कर रही है. कभी वो वुहान लैब की डिप्टी डायरेक्टर को सामने लाकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रही है. तो कभी लैब के डॉयरेक्टर वांग येनी को सामने लाकर. कोरोना वायरस कैसे फैला ये तो फिलहाल साफ नहीं हुआ है. मगर किससे फैला ये साफ है. मगर अकेले कोरोना वायरस ही नहीं है जो चमगादड़ से फैला.

इससे पहले सार्स और मर्स के रिज़रवॉयर भी चमगादड़ ही हैं. मारबर्ग, निपाह, हेंड्रा जैसे अनेक वायरस इन्हीं चमगादड़ों में पनाह पाते हैं. इबोला का भी घर यही हैं और रेबीज़ भी इन्हीं में वास करता है और इन्हीं से फैलता है. ऐसी तमाम वायरसों को अपने अंदर रखकर खुद चमगादड़ किसी बीमारी का शिकार नहीं होते. इसलिए चमगादड़ों की यही बात वैज्ञानिकों को हमेशा हैरान करती है. दरअसल चमगादड़ों में डीएनए-सेंसिंग कमज़ोर होती है. नतीजन वायरस इनमें आराम से पलते हैं और उन्हें सामान्य तौर पर कोई ख़तरा नहीं होता. वायरस और चमगादड़ों का ये कुदरती समझौता ऐसा है कि न चमगादड़ वायरस से बीमार पड़ते हैं और न उसका प्रतिरक्षा-तन्त्र इन पर आक्रमण करता है. इसलिए बैट वूमन का कहना है कि कोरोना वायरस तो सिर्फ शुरुआत है. क्योंकि इसमें न जाने कितने खतरनाक वायरसों का घर है.

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