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कोरोना संग आई रहस्यमयी बीमारी बना रही बच्चों को शिकार, दिल पर करती है हमला

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) जब दुनियाभर में कोहराम मचा रहा है, तब पैरेंट्स के लिए थोड़ी राहत इस बात की है कि यह बच्चों को जल्दी अपना शिकार नहीं बनाता. लेकिन इस महामारी से जुड़ी ताजा रिपोर्ट डराने वाली है और इसने कई परिवारों, खासकर पैरेंट्स को चिंतित कर दिया है. यूरोप के बाद अब अमेरिका में भी कई बच्चों को रहस्यमयी बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया है. यह बीमारी बच्चों के दिल और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाती है.

न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू एम. क्योमो ने बताया कि 112 बच्चों में इस रहस्यमय बीमारी के लक्षण पाए गए हैं, जिनमें से तीन की मौत भी हो चुकी है. ये केस अमेरिका के 14 राज्यों में सामने आए हैं. राहत की बात यह है कि इस बीमारी का इलाज संभव है. ज्यादातर बच्चे इस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं. ऐसे में पैरेंट्स को यह जानने की जरूरत है कि उन्हें इस बीमारी से जुड़ी कौन सी बातें जाननी जरूरी हैं.

कोविड-19 का शक, पर यकीन नहीं
अभी तक कोई नहीं जानता कि नया सिंड्रोम कहां से आया है, जिसे अब पीडियाट्रिक मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (PMIS) कहा जा रहा है. कई डॉक्टर इसे कोरोना वायरस से जोड़ते हैं. डॉ. इवा चेउंग पीएमआईएस सिंड्रोम के 35 मरीजों का इलाज कर चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि यह सिंड्रोम कोविड से संबंधित है.’

Covid-19 के बाद PIMS के शिकार हुए 
न्यूयॉर्क में जो बच्चे पीएमआईएस से प्रभावित हुए, उनमें से ज्यादातर कोविड-19 के शिकार हुए थे या वे इसके संपर्क में तो आए, लेकिन इससे संक्रमित नहीं हुए थे. कुछ बच्चों का कोविड-19 का टेस्ट निगेटिव आया और वे पीएमआईएस के शिकार हुए. इसलिए इस बारे में पूरे यकीन के साथ कुछ कह पाना मुश्किल है. डॉ. इवा चेउंग इस पर कहते हैं कि हो सकता है कि कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट गलत हो क्योंकि कई मामलों में इस वायरस की रिपोर्ट भरोसमंद नहीं रही है.

इम्यून सिस्टम की आक्रामकता से बदलाव
डॉ. ओफरी अमांफो कहते हैं कि संभव है कि कुछ बच्चे जब कोरोना वायरस के संपर्क में आए तो उनके मजबूत इम्यून सिस्टम ने उन्हें संक्रमण से बचा लिया. इस प्रकिया में इम्यून सिस्टम में जो आक्रामकता आई, उसने शरीर में कई बदलाव किए और इससे शरीर के दूसरे अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ा. इसका असर ब्लड प्रेशर पर पड़ा और अंतत: उन्हें लाइफ सपोर्ट की जरूरत पड़ी, ताकि उनके दिल और फेफड़ों को प्रभावित होने से बचाया जा सके.

सिंड्रोम की पहचान करना आसान
डॉ. जेम्स श्नाइडर कहते हैं कि राहत की बात यह है कि इस सिंड्रोम की पहचान करना आसान है. इसके लक्षण इतने गंभीर हैं कि पैरेंट्स इसे आसानी से पहचान सकते हैं. इसका शिकार होने पर बुखार आता है जो 101 डिग्री या इससे अधिक का हो सकता है. बुखार जल्दी नहीं उतरता. इसके अलावा पेट में तेज दर्द होता है. उल्टियां होती हैं. कुछ बच्चों के शरीर में चक्कते पड़ने लगते हैं, लेकिन सबमें ऐसा नहीं होता है. आंखें लाल हो जाती हैं. होंठ फट जाते हैं. जीभ में दर्द होता है. हाथ-पांव में सूजन आ जाती है. डॉ. श्नाइडर इस सिंड्रोम से पीड़ित 40 से अधिक बच्चों का इलाज कर चुके हैं.

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