नई दिल्ली. पीएफ (PF-Provident Fund)का पैसा हर किसी नौकरीपेशा को बहुत प्रिय होता है. क्योंकि ये ऐसा फंड होता है जिसे वे पूरी जिंदगी जोड़ते हैं. EPF के पैसा निकालने से ट्रांसफर (EPF Transfer) कराने तक के अलग-अलग नियम है. इन नियमों को समझना PF खाताधारकों के लिए बेहद जरूरी है. कुछ लोग जानकारी नहीं होने की वजह से अपने PF के पैसे से हाथ धो बैठते हैं. ऐसा ही एक नियम के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं. जिसके मुताबिक, आपका PF अकाउंट खुद भी बंद हो सकता है.\
आइए आपको बताते हैं क्या है ये EPF खाते का ये नियम…
कब बंद होता है EPF खाता-आपकी पुरानी कंपनी अगर बंद हो गई है और आपने अपना पैसा नई कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं किया या फिर अकाउंट में 36 महीनों तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ तो नियम अनुसार आपका खाता खुद बंद हो जाएगा. EPFO ऐसे खातों को निष्क्रिय (इनएक्टिव) कैटेगरी में डाल देता है. निष्क्रिय होने पर अकाउंट से पैसा निकालने में भी दिक्कत होती है. इसके लिए अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए EPFO में संपर्क करना पड़ेगा. हालांकि, निष्क्रिय होने पर भी खाते में पड़े पैसे पर ब्याज मिलता रहता है.
ये भी पढ़ें- Do not go for loan moratorium if you can pay your EMI
कौन से अकाउंट को कहा जाता है निष्क्रिय?-निष्क्रिय खाते ऐसे प्रॉविडेंट फंड खातों को कहा जाता है, जिनमें 36 महीने से ज्यादा वक्त से कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ. मतलब आपके या आपकी कंपनी की तरफ से उसमें प्रोविडेंट फंड का हिस्सा (अंशदान) नहीं जमा किया गया. EPFO ने ऐसे खातों के लिए निष्क्रिय कैटेगरी बनाई हुई है. पहले इन खातों पर ब्याज नहीं मिलता था. लेकिन, 2016 में नियमों में संशोधन किया गया और अब इन खातों पर ब्याज दिया जाता है.
ये है नियम?
EPFO ने अपने एक सर्कुलर में इस नियम को लेकर कुछ प्वाइंट जारी किए थे. EPFO के मुताबिक, निष्क्रिय खातों से जुड़े क्लेम को निपटाने के लिए सावधानी रखना जरूरी है. इस बात का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए कि धोखाधड़ी से संबंधित जोखिम कम हो और सही दावेदारों को क्लेम का भुगतान हो.
निष्क्रिय पीएफ खातों (इनएक्टिव पीएफ खाते) से संबंधित क्लेम को निपटाने के लिए जरूरी है कि उस क्लेम को कर्मचारी का नियोक्ता सर्टिफाइड करे. हालांकि, जिन कर्मचारियों की कंपनी बंद हो चुकी है और क्लेम सर्टिफाइड करने के लिए कोई नहीं है तो ऐसे क्लेम को बैंक KYC दस्तावेजों के आधार पर सर्टिफाई किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- जानें, तरबूज के साथ उसके छिलके के कितने हैं लाभ
कौन से डॉक्यूमेंट हैं जरूरी?
केवाईसी दस्तावेजों में पैन कार्ड, वोटर आइडेंटिटी कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, ईएसआई आइडेंटिटी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस शामिल हैं. इसके अलावा सरकार की तरफ से जारी किए गए किसी दूसरी पहचान पत्र जैसे आधार का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इसके बाद असिस्टेंट प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर या दूसरे अधिकारी (राशि के मुताबिक) से विथड्रॉल या ट्रांसफर की मंजूरी ले सकते हैं.