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जानें- CBSE की कहानी, देश-विदेश तक क्यों है इस एजुकेशन बोर्ड की धूम?

CBSE class 10, 12 exams begin

भारत की स्कूली शिक्षा का एक प्रमुख बोर्ड सीबीएसई जिससे देश ही नहीं विदेश के भी बहुत से निजी स्कूल सम्बद्ध हैं. अपने तय मानकों के साथ मान्यता देने वाले इस बोर्ड की शुचिता और पूरी प्रणाली ने एक साख बनाई है. बोर्ड के साथ जुड़ा केंद्रीय शब्द उस उद्देश्य को लेकर है जिसमें तय किया गया था कि केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को पैरेंट्स के ट्रांसफर होने पर भी उनकी श‍िक्षा पर असर न पड़े. इस बोर्ड से देश के केन्द्रीय विद्यालय, 1700 से ज्यादा सरकारी विद्यालय, करीब 6000 निजी पब्लिक स्कूल, 480 के करीब जवाहर नवोदय वि‍द्यालय और 14 केन्द्रीय तिब्बती विद्यालय जुड़े हैं.

जानें इतिहास, कौन है सबसे पुराना और पहला बोर्ड

सीबीएसई बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार बोर्ड आज के महत्वपूर्ण परिवर्तनों के पीछे सालोसाल की प्रगति निहित है. बता दें कि उत्तर प्रदेश बोर्ड आफ हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एजुकेशन पहला बोर्ड था जिसकी स्थापना 1921 में हुई थी. राजपूताना, मध्य भारत और ग्वालियर इसके अधिकार क्षेत्र में आते थे . लेकिन 1929 में तत्कालीन भारत सरकार ने सभी क्षेत्रों के लिए एक संयुक्त बोर्ड स्थापित करने का सुझाव दिया जिसका नाम बोर्ड आफ हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एजुकेशन राजपूताना रखा गया. इसमें अजमेर, मेरवाड़ा मध्य भारत और ग्वालियर शामिल थे.

बोर्ड ने माध्यमिक शिक्षा स्तर पर तीव्र प्रगति और विस्तार किया जिसके फलस्वरूप इसके संस्थानों में शिक्षा के स्तर एवं स्वरूप में सुधार आया. लेकिन राज्यों के विश्वविद्यालयों और देश के विभिन्न भागों में राज्य बोर्ड स्थापित हो जाने से केवल अजमेर, भोपाल और बाद में विंध्य प्रदेश ही इसके अधिकार क्षेत्र में रह गए.

इसके कारण 1952 में बोर्ड में संगठानात्मक संशोधन किए गए जिससे इसका क्षेत्राधिकार बढ़ाया गया और इसका नाम केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड रखा गया. बाद में फिर 1962 में बोर्ड का पुनर्गठन किया गया. बोर्ड के प्रमुख उद्देश्य शिक्षा संस्थानों को अधिक प्रभावशाली ढ़ंग से सहयोग प्रदान करना, और उन विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना था जिनके माता-पिता केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी थे और निरंतर स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत थे.

ये हैं क्षेत्राधिकार

बोर्ड का अधिकार क्षेत्र व्‍यापक है और राष्‍ट्र की भौगोलिक सीमाओं से बाहर भी फैला हुआ है. पुनर्गठन के बाद ‘दिल्‍ली माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड’ का केन्‍द्रीय बोर्ड में विलय कर दिया गया था. इस तरह से दिल्‍ली बोर्ड से मान्‍यता प्राप्‍त सभी शैक्षिक संस्‍थाएं भी सीबीएसई बोर्ड का अंग बन गईं.

ये है सीबीएसई की आध‍िकारिक वेबसाइट

इसमें जाकर आप सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के अलावा सीबीएसई का करीकुलम, सिलेबस और अन्य जरूरी जानकारियां हासिल कर सकते हैं.नबाद में संघ शासित राज्य चण्‍डीगढ़, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, सिक्किम और अब झारखंड, उत्‍तरांचल एवं छत्‍तीसगढ़ के सभी स्‍कूलों ने भी बोर्ड से सम्‍बद्धता प्राप्‍त कर ली. वर्ष 1962 में मात्र 309 विद्यालयों से अब तक 16 हजार से ज्यादा स्कूल बोर्ड से सम्‍बद्ध हो चुके हैं. इसमें से 23 देशों में 197 विद्यालय भी शामिल हैं.सीबीएसई का खास मकसद

गुणवत्‍ता का समझौता किए बिना बच्‍चों को तनाव रहित, छात्र केन्द्रित और सम्‍पूर्णवादी शिक्षा प्रदान करने के लिए शैक्षणिक गतिविधियों के उपयुक्‍त दृष्टिकोणों को परिभाषित करना बोर्ड का प्रमुख उद्देश्य है.

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