वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार MSMEs को राहत देते हुए दिवालियापन कानून के नियमों में बदलाव करने जा रही है. दिवालियापन कानून की प्रक्रिया शुरू करने की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है.
- कोरोना की वजह से लोन डिफॉल्ट को लेकर MSME को राहत
- अब एक साल तक दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकेगी
आर्थिक पैकेज के आखिरी ऐलान में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना संकट की वजह से MSME सेक्टर संकट में है. पिछले दो महीने से सभी तरह के काम-धंधे बंद हैं. जिस वजह से लघु और मध्यम उद्योग को बैंकों से लिए कर्जों को देने में परेशानी हो रही है.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार MSMEs को राहत देते हुए दिवालियापन कानून के नियमों में बदलाव करने जा रही है. दिवालियापन कानून की प्रक्रिया शुरू करने की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है.
MSME को बड़ी राहत
निर्मला सीतारमण ने कहा कि IBC के सेक्शन 240A के तहत स्पेशल फ्रेमवर्क बनाया जाएगा. एक साल तक दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकेगी, जिससे कोरोना वायरस की वजह से हुए कर्ज डिफॉल्ट कैटेगरी में नहीं डाले जाएंगे. इससे MSME को बड़ी राहत मिलेगी.
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दरअसल, आर्थिक पैकेज की पांचवीं किस्त का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि एक साल तक के लिए दिवालिया प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है. कंपनी एक्ट में बदलाव किए गए हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल CSR, बोर्ड रिपोर्ट की कमी, फाइलिंग में चूक को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है.
MSME सेक्टर से 12 करोड़ लोगों को रोजगार
बता दें, पीएम मोदी के ऐलान के ठीक एक दिन बाद बुधवार को निर्मला सीतारमण ने कहा कि MSME देश की रीढ़ है. यह सेक्टर 12 करोड़ लोगों को रोजगार देता है. राहत पैकेज में से 3 लाख करोड़ रुपये का लोन इस सेक्टर को दिया जाएगा. इसका समय-सीमा 4 वर्ष की होगी, 12 महीने तक मूलधन भी नहीं चुकाना होगा.
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गौरतलब है कि मंगलवार की रात 8 बजे देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के बड़े राहत पैकेज का ऐलान किया था. कोरोना संकट की वजह से सबकुछ बंद है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पीएम मोदी ने ये ऐलान किया. पीएम मोदी ने कहा कि थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है. सतर्क रहते हुए, ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है.