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DNA ANALYSIS: रियाज नायकू की सुरंग ही बनी उसकी ‘कब्र का रास्ता’

आज हमारे शहीदों की आत्मा को थोड़ी शांति मिली होगी. आज हमारे शहीदों के परिवारों को थोड़ी संतुष्टि मिली होगी. क्योंकि हमारे जवानों ने कश्मीर में आतंक के एक बड़े चेहरे का नामोनिशान मिटा दिया है. आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का आखिरी बड़ा कमांडर रियाज नायकू आज मारा गया है. 

रियाज नायकू का एनकाउंटर सुरक्षा बलों के लिए कितनी बड़ी कामयाबी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की लिस्ट में था. जिसकी तलाश पिछले तीन साल से हो रही थी. इस आतंकी के सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम घोषित था. ये कश्मीर में आतंक के पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन की रीढ़ की हड्डी बना चुका था.

कश्मीर में नए आतंकवादी तैयार करने और उन्हें हिजबुल जैसे आतंकी संगठन में भर्ती करवाने में ये माहिर था. ये कश्मीर में आतंकवादियों के लिए रोल मॉडल बन गया था, जो उसी तरह से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता था जैसे बुरहान वानी करता था. कश्मीर में पिछले कुछ वर्षं में सुरक्षाबलों पर जितने भी हमले हुए उनकी प्लानिंग रियाज नायकू ने ही की थी. इसका पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बैठे जेहादी आतंकियों और उनके संगठनों से भी सीधा कम्यूनिकेशन था.

रियाज नायकू पिछले 8 साल से कश्मीर में आतंकवाद फैला रहा था. 2012 में वो आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़ा और बुरहान वानी के गैंग में शामिल हुआ था. 2016 में बुरहान वानी मारा गया और 2018 तक उसके गैंग का सफाया हो गया. इसके बाद रियाज नायकू ने हिजबुल मुजाहिदीन में अपना गैंग तैयार किया था लेकिन आज नायकू के मारे जाने के बाद इस गैंग का भी काम तमाम हो चुका है.

रियाज नायकू को आज पुलवामा में उसके गांव में ही सुरक्षाबलों ने मार गिराया है. ये बहुत मुश्किल एनकाउंटर था. क्योंकि रियाज नायकू का अपना एक पक्का नेटवर्क था जिससे उसे सुरक्षाबलों की हर हलचल के बारे में जानकारी पहले से ही मिल जाती थी. इसलिए वो तीन साल से बार-बार बच जाता था. इसके अलावा रियाज नायकू का दक्षिण कश्मीर के इलाके में खौफ भी बहुत था. किसी भी मुखबिर के बारे में जानकारी मिलने पर वो ISIS के स्टाइल में उसकी हत्या कर देता था. सुरक्षाबल और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान उसके निशाने पर थे.

रियाज नायकू भारत को बरबाद करने के सपने देखता था लेकिन भारत के वीर जवानों ने उसे कब्र में पहुंचा दिया. रियाज नायकू को मार गिराने के साथ ही सेना ने कश्मीर में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की कमर तोड़ दी है. क्योंकि अब इस आतंकी संगठन को चलाने वाला कोई ऐसा बड़ा नाम नहीं बचा है. रियाज नायकू के मारे जाने से कश्मीर में नए आतंकवादियों की भर्ती में कमी आएगी और इससे सेना का मनोबल भी बढ़ेगा जिसपर पिछले कुछ दिनों में बड़े हमले हुए हैं. 

रियाज नायकू जैसे आतंकवादी भारत के दुश्मन हैं. ये आतंकवादी हमारे शहीद जवानों और उनके परिवारों के गुनहगार हैं. लेकिन ये बहुत दुख की बात है कि भारत में ही एक वर्ग इन आतंकवादियों के लिए ऐसी बातें-ऐसे शब्द लिखता है जिससे इन आतंकवादियों के लिए हमदर्दी जुटाई जा सके. हमारे यहां ही कई मीडिया हाउस रियाज नायकू की वो बातें बता रहे हैं, जिनका कोई मतलब नहीं है. कोई रियाज नायकू को गरीब टेलर का बेटा बता रहा है तो कोई ये बता रहा है कि रियाज नायकू को पेंटिंग का कितना शौक था? कोई उसे टीचर बता रहा है जो आतंकवादी बन गया तो कोई उसे हिजबुल मुजाहिदीन का नेता बता रहा है. हम भी चाहते तो रियाज नायकू के बारे में ऐसी जानकारियां दे सकते थे लेकिन ये जानकारियां महत्वपूर्ण नहीं हैं. सबसे अहम ये है कि रियाज नायकू एक आतंकवादी था. रियाज नायकू देश का दुश्मन था. उसके बारे में ऐसा बताना कि वो आम इंसान था ये उसके अपराधों को कम करने की कोशिश है और ऐसा हमने पहली बार नहीं देखा है. जब बुरहान वानी को सेना के जवानों ने मार गिराया था तब उसे गरीब हेडमास्टर का बेटा बताने वाले सामने आ गए थे. यही इस देश का दुर्भाग्य है. रियाज नायकू जैसे आतंकियों को आम इंसान की तरह दिखाने की कोशिश में जो लोग उसके लिए ऐसी बातें लिख रहे हैं उन्हें इन बातों पर शर्म आनी चाहिए क्योंकि

रियाज नायकू का असली बायोडेटा यही है कि वो कश्मीर के युवाओं को गुमराह करके उन्हें आतंकवादी बनाता था. वो हमारे सुरक्षाबलों के जवानों और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों पर हमले करता था. पुलिस के कई जवानों को उसने किडनैप किया था और उनकी हत्या कर दी थी. कश्मीर के गांवों के कई सरपंचों की उसने हत्या की थी. उसने कश्मीर में कई नागरिकों को पुलिस और सेना का मुखबिर बताकर उनकी हत्या की थी. वो सेब के किसानों और कारोबारियों को लूटता था. उनसे वसूली करता था. वो अफीम और भांग के नशे के कारोबार से भी जुड़ा था.

सबको पता है कि कितने मुश्किल हालात में हमारे सुरक्षाबल इन आतंकवादियों से कश्मीर में लड़ते हैं. सुरक्षाबलों के सामने एक तरफ हथियारों से लैस आतंकवादी होते हैं तो दूसरी तरफ इन आतंकवादियों को बचाने के लिए पत्थरबाज आ जाते हैं.

सुरक्षाबलों के लिए रियाज नायकू को मार गिराना बहुत बड़ी चुनौती थी. क्योंकि वो कम से कम चार बार ऐसे हालात में भी सुरक्षाबलों को चकमा दे चुका था जब उसके बचने के चांस बहुत कम थे. एक बार त्राल में वो सुरक्षाबलों के घेरे के बीच ही सुरंग बनाकर निकल गया था. इसलिए इस बार सुरक्षा बल उसे कोई मौका देना नहीं चाहते थे. इसी वजह से इस ऑपरेशन को सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर के बड़े अधिकारी मॉनीटर कर रहे थे. हम आपको इस एनकाउंटर की इनसाइड स्टोरी बताते हैं.

दरअसल, पिछले तीन दिन से सुरक्षा एजेंसियां रियाज नायकू का पता लगाने में जुटी थीं. इसी बीच ये जानकारी मिली कि वो बेगपुरा के अपने गांव में अपनी मां से मिलने के लिए आ सकता है.

मंगलवार शाम को नायकू की लोकेशन के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को पता चल गया कि वो अपने गांव में ही है. उसके बाद सुरक्षा बलों ने उस पूरे इलाके को घेर लिया.

लेकिन शुरुआत में सुरक्षा बलों को ये लगा कि रियाज नायकू के बारे में मिली जानकारी सही नहीं है और सुरक्षाबलों ने उस जगह से वापसी की तैयारी शुरू कर दी.

लेकिन उसी वक्त सुरक्षाबलों के मुखबिर जिसे सेना की भाषा में कैट (Cat) कहा जाता है, उसने पुख्ता तौर पर ये बताया कि नायकू गांव में ही मौजूद है. इसके बाद सुरक्षा बलों ने फिर से ऑपरेशन शुरू कर दिया.

इसके बाद सुरक्षाबलों ने इस गांव को घेर लिया. ये करीब एक से डेढ़ किलोमीटर का इलाका था जिसमें ऑपरेशन से पहले गांव के घर खाली करवाए गए और वहां रहने वाले लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.

लेकिन चुनौती ये थी कि रियाज नायकू सुरंग का इस्तेमाल करता था. सुरक्षा बलों को यही शक था कि कहीं इस बार भी नायकू किसी सुरंग का इस्तेमाल करके भाग ना जाएं.

इसलिए तीन जेसीबी मशीनें मंगवाई गई और रात भर इस इलाके में अलग अलग जगहों पर उस सुरंग को ढूंढने के लिए खुदाई की गई. इसी बीच सुबह होते-होते सुरक्षा बल उस घर के करीब तक पहुंच गए थे जहां नायकू छुपा था.

लेकिन जैसे ही सुरक्षा बल उस घर के करीब पहुंचे रियाज नायकू और उसके साथी ने फायरिंग करना शुरू कर दिया. सुरक्षाबलों ने इसके बाद उस घर को ही ध्वस्त कर दिया.

फिर भी रियाज नायकू बच गया और भाग कर एक दूसरे घर में छुप गया. लेकिन यहीं पर सुरक्षा बलों ने उसे और उसके साथी को मार गिराया.

Zee News की टीम भी इस एनकाउंटर के पूरे वक्त ग्राउंड जीरो पर मौजूद थी. हमने ये पूरी जानकारी ग्राउंड जीरो से अपनी रिपोर्टिंग से निकाली है. एनकाउंटर के बाद सुरक्षाबलों का जोश इस बड़ी कामयाबी की कहानी बता रहा था. 

आज कश्मीर के पुलवामा में दो जगह एनकाउंटर हुए जिसमें चार आतंकवादी मार गिराए गए हैं. चारों आतंकवादियों के शव उनके परिवार को नहीं दिए गए हैं. इस बात को सुनकर हो सकता है कि कुछ मानवाधिकार संगठन और हमारे यहां के पत्रकार इस बात के विरोध में खड़े हो जाएं और आतंकवादियों के मानवाधिकारों की दुहाई देने लगें. लेकिन ये बिल्कुल सही किया गया है. हम ये लगातार कहते रहे हैं कि इन आतंकवादियों को अंतिम संस्कार का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए. इन आतंकवादियों के शव उनके परिवारों को नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि इनके के अंतिम संस्कार के जरिए इन्हें हीरो बनाया जाता है और कश्मीर में नए आतंकवादी तैयार किए जाते हैं.

राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन, विष रहित, विनीत, सरल हो।
ये पंक्तियां पाकिस्तान के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पराक्रम का आधार हैं. ये बदला हुआ भारत है और बदला हुआ भारत आतंकी हमले के बाद बातचीत करने में समय बर्बाद नहीं करता. पाकिस्तान को डॉजियर पर डॉजियर देने की भूल नहीं करता. बदला हुआ भारत अब सिर्फ बदला लेता है. 

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