अमेरिका में कोरोना वायरस और भयावह हो गया है. कोरोना वायरस अब रहस्यमयी तरीके से मरीजों के शरीर के अंदर बह रहे खून को जमा (Blood Clotting) दे रहा है. यह चौंकाने वाली घटना अमेरिका में सिर्फ एक-दो जगहों पर नहीं हुई है. कई जगहों से ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं.
अमेरिका के अटलांटा प्रांत के एमोरी यूनिवर्सिटी हेल्थ सिस्टम के अधीन आने वाले 10 अस्पतालों में शरीर के अंदर खून जमने (Blood Clotting) से लोगों के मौत की जानकारी सामने आई है. डॉक्टरों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि मरीजों के शरीर में ऐसा क्यों हो रहा है.
द वॉशिंगटन पोस्ट अखबार ने लिखा है कि अटलांटा के इन 10 अस्पतालों के आईसीयू के प्रमुख डॉ. क्रेग कूपरस्मिथ ने बताया कि यह एक बड़ी दिक्कत है. हमने दूसरी जगहों के अस्पतालों में भी पूछा तो पता चला कि ऐसी स्थिति वहां भी है. यह लगातार बढ़ रहा है.
डॉ. कूपरस्मिथ ने बताया कि किसी अस्पताल में खून जमने से 20 फीसदी मरीजों की मौत हुई तो कहीं 30 और कहीं 40 फीसदी. यह संकट तेजी से बढ़ रहा है. हमारे पास इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है. तरीका तो तब निकाले जब कारण समझ में आए.
एक महीने पुरानी बात है जबक अमेरिकी डॉक्टरों को ये पता था कि वो किस बीमारी से लड़ने जा रहे हैं. तब वे आत्मविश्वास से भरे हुए थे. उस समय कोरोना वायरस सिर्फ शरीर में फेफड़े, किडनी, लिवर, दिल, दिमाग और आंतों पर ज्यादा बुरा प्रभाव दिखा रहा था. लेकिन अब तो यह खून को टारगेट बना रहा है.
क्योंकि मेडिकल साइंस में शरीर के अंदर खून जमने की बीमारी का कोई इलाज नहीं है. इससे बचने के लिए खून को पतला करने वाले थिनर दिए जाते हैं. लेकिन कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के शरीर में थिनर भी सही से काम नहीं कर पा रहा है.
सामान्य तौर पर डॉक्टरों ने नोटिस किया है कि पहले कोरोना वायरस के मरीजों के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है. इसके बाद वे बेहोश हो जाते हैं. या फिर उन्हें दिल का दौरा पड़ता है. लेकिन खून में आ रहे इस बदलाव को डॉक्टर समझ नहीं पा रहे हैं.
खून जमना (Blood Clotting) यानी शरीर के अंदर बह रहा खून जेल जैसा गाढ़ा हो जाता है. इसके बाद ज्यादा सख्त हो जाता है. आमतौर पर ब्लड क्लॉटिंग या खून जमने की समस्या ईबोला, डेंगू या अन्य प्रकार के हेमोरेजिक बुखारों में देखने को मिलता है. कोरोना में ऐसे लक्षण पहली बार देखने को मिले हैं.
जब कोरोना मरीजों के शरीर का पोस्टमॉर्टम किया गया तो पता चला कि मरीजों के फेफड़ों में खून के छोटे-छोटे जमे हुए थक्के थे. दिल की नलियों, दिमाग की नसों में थोड़े बड़े खून के थक्के थे. इसकी वजह से दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. दिल का दौरा पड़ने से मरीज की मौत हो गई.
18 अप्रैल यानी शनिवार को ही 41 वर्षीय ब्रॉडवे एक्टर निक कॉर्डेरो का दाहिना पैर काट कर अलग किया गया है. ताकि उनकी जान बचाई जा सके. वो कोरोना वायरस से पीड़ित थे और उनके दाहिने पैर में भी खून जमने लगा था. जो धीरे-धीरे बढ़ रहा था.
पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख लेविस कैपलैन ने कहा कि हर साल अमेरिकी डॉक्टर खून जमने की समस्या से जूझते हैं. लेकिन मैंने ऐसे मामले पहले कभी नहीं देखे. हमें खून का जमा हुआ थक्का दिख तो रहा है, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है ये हम नहीं जान पा रहे हैं.
डॉक्टरों ने बताया कि जिस कोरोना वायरस मरीज के शरीर में खून जमना शुरू होता है. सबसे पहले उसके पैरों का रंग नीला पड़ने लगता है. वह सूजने लगता है. डॉक्टर इसलिए भी हैरान है क्योंकि खून को पतला करने वाले थिनर भी काम नहीं कर रहे हैं.
अब अमेरिकी डॉक्टरों के पास एक ही चारा बचा है कि कोरोना वायरस के मरीजों के खून की सफाई करें. जैसा डायलिसिस की प्रक्रिया में होता है. लेकिन ब्लड क्लॉटिंग की दिक्कत कब तक ठीक होगी? इसका इलाज क्या है? ये समस्या क्यों आ रही है सामने? इन सबका जवाब फिलहाल अमेरिकी डॉक्टरों के पास नहीं है.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर के फेलो बेहनूद बिकदेली ने कहा कि चीन से जो शुरुआती आंकड़े आए थे, उसमें से 183 मरीजों के रिपोर्ट जांची गई थी. उसमें से 70 फीसदी मरीजों के शरीर में खून जमने के सबूत मिले थे.