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ऐसे लोग जिन्हें कोई भी देश अपना नहीं मानता

दुनिया भर में ऐसे तकरीबन डेढ़ करोड़ लोग हैं जिन्हें कोई भी देश अपना नागरिक नहीं मानता. नागरिकता विहीन लोग मूलभूत मानवीय अधिकारों के लिए तरस रहे हैं लेकिन किसी भी देश को इनकी चिंता नहीं है.

म्यांमार

म्यांमार एक बौद्ध बहुल देश है. साल 1982 में म्यांमार में पारित हुए एक नागिरकता कानून ने लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को बेघर कर दिया. रोहिंग्या लोगों के खिलाफ हुई जातीय हिंसा के चलते लाखों लोग म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश भाग गए. बांग्लादेश में तकरीबन नौ लाख रोहिंग्या लोग रह रहे हैं. इन लोगों को ना तो म्यांमार और ना ही बांग्लादेश अपना नागरिक मानता है.

आइवरी कोस्ट

आइवरी कोस्ट में तकरीबन 6.92 लाख ऐसे लोग हैं जिनके पास किसी भी देश की नागरिकता नहीं है. इनमें से अधिकतर ऐसे प्रवासियों के वंशज है जो खासकर बुर्किना फासो, माली और घाना में काम करने आए थे. 20वीं शताब्दी के दौरान आइवरी कोस्ट के कॉफी और कपास के बागानों में काम करने के लिए दुनिया भर से लोगों को लाया गया था.

थाईलैंड

पर्यटकों के बीच लोकप्रिय थाईलैंड में रहने वाले तकरीबन 4.79 लाख लोग किसी भी देश के नागरिक नहीं है. नागरिकता ना पाने वालों की श्रेणी में देश की याओ, हमोंग और करेन जैसी पहाड़ी जनजातियों के सदस्य भी शामिल हैं. ये जनजातियां म्यांमार और लाओस के साथ सटे पहाड़ी सीमा के इलाकों में रहते हैं.

एस्टोनिया/लातविया

जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो कई रूसी जनजातियां नए बाल्टिक राज्यों में फंस गई, जिन्हें बाद में “गैर-नागरिक” माना गया. आज तकरीबन 2.25 लाख गैर नागरिक लातविया में और तकरीबन 78 हजार लोग एस्टोनिया में रह रहे हैं. इनमें से अधिकतर ऐसे लोग हैं जिन्हें नागरिकता पाने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और कई मौकों पर भेदभाव भी झेलना पड़ता है.

सीरिया

साल 1962 में देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में रहने वाले हजारों कुर्दों से नागरिकता छीन ली गई. इस कदम को ह्यूमन राइट्स वॉच “अरबीकरण” की कोशिश कहता है. संयुक्त राष्ट्र के डाटा के मुताबिक सीरिया में गृहयुद्ध शुरू से पहले पहले तकरीबन तीन लाख कुर्द बिना नागिरकता के रहते थे लेकिन अब इनकी संख्या तकरीबन 1.50 लाख के करीब रह गई है.

कुवैत

कुवैत में रहने वाली खानाबदोश बिदुएन जनजाति भी साल 1961 के बाद नागिरकता पाने में विफल रही. माना जाता है कि बिदुएन लोगों के पूर्वज बिदून कहलाते थे. अरबी में बिदून का मतलब होता है “नागरिकता विहीन.” संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी डाटा के मुताबिक कुवैत में आज भी करीब 92 हजार बिदुएन लोग रहते हैं. इन लोगों को अकसर मुफ्त शिक्षा और कई नौकरियों से दूर रखा जाता है.

इराक

इराक में तकरीबन 47 हजार ऐसे लोग हैं जिन्हें कोई देश अपना नागरिक नहीं मानता. ऐसे लोगों में बिदून, फलस्तीनी रिफ्यूजी, कुर्द और अन्य जातीय समूह हैं जो सदियों से इराक-ईरान पर सीमा पर रहते आए हैं.

कोलंबिया

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक वेनेजुएलाई नागरिकों के तकरीबन 25 हजार बच्चे जो राजनीतिक और आर्थिक संकट के चलते कोलंबिया भाग गए उनमें से अधिकतर बगैर नागरिकता के रह रहे हैं. कोलंबिया के नागरिकता कानून के मुताबिक नागरिकता पाने के लिए मां-बाप में से कम से कम एक किसी व्यक्ति को कोलंबिया का नागरिक होना चाहिए.

नेपाल

नेपाल हमेशा कहता रहा है कि वहां कोई नागरिकता विहीन व्यक्ति नहीं है. लेकिन यूएन के डाटा के मुताबिक नेपाल में ऐसे लोगों की अच्छी खासी संख्या है जिन्हें 90 के दशक में भूटान ने अपने देश से बाहर कर दिया था. (स्रोत: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी कार्यालय, इंस्टीट्यूट ऑन स्टेटलैसनेस एंड इनक्लूजन )

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