नई दिल्ली: Lockdown के बीच देश के कई राज्यों में बच्चों के स्कूल की फीस में बढ़ोतरी हो गई है. कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण में लॉकडाउन के बीच कुछ राहत मिलने का इंतजार कर रहे अभिभावकों की परेशानी बढ़ेगी. अब अभिभावकों ने स्कूल मैनेजमेंट के इस नए कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से गुहार
अभिभावकों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ऑनलाइन अनुरोध भेजने शुरू कर दिये है जिनमें वे स्कूलों के फिर से खुलने तक इस शैक्षणिक सत्र के लिए शुल्क को नहीं बढ़ाये जाने संबंधी निर्देश स्कूलों को दिये जाने की मांग कर रहे हैं. नोएडा के एक स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे के अभिभावक पी जोशी ने कहा कि लॉकडाउन के बीच शुल्क वृद्धि के बारे में स्कूल से सूचना मिली है. स्कूल शुल्क वृद्धि और परिवहन वृद्धि पर चिंता जताते हुए उन्होने आगे बताया कि इस संबंध में स्कूल का कहना है कि इससे शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए खर्चों को पूरा किया जायेगा. गुड़गांव में एक अभिभावक जागृति शुक्ला ने कहा कि हम स्कूलों की चिंता को समझते हैं कि उन्हें वेतन का भुगतान करना है और वे शुल्क में छूट नहीं दे सकते लेकिन कम से कम इस मुश्किल समय में शुल्क वृद्धि को टाला जा सकता है. सरकार इस संबंध में कोई आदेश पारित क्यों नहीं कर रही है?
बताते चलें कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के मद्देनजर मार्च के मध्य में स्कूलों को बंद कर दिया गया था. देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन की अवधि आज समाप्त हो रही थी लेकिन अब इसे तीन मई तक बढ़ा दिया गया है. हालांकि कई स्कूल पहले ही पढ़ाई गतिविधियों को ऑनलाइन शुरू कर चुके हैं.
फीस नहीं बढ़ाने की राज्य सरकारों ने पहले ही दी है हिदायत
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों ने घोषणा की है कि स्कूलों को लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों को शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए. दिल्ली सरकार ने शुल्क में किसी तरह की संभावित राहत के बारे में कोई निर्देश जारी नहीं किया है और दिल्ली में निजी स्कूल ऐसा मान रहे है कि सरकार की शुल्क समीक्षा प्रबंध समिति से शुल्क वृद्धि पर मंजूरी मिल जायेगी.