सीबीआईसी ने अपने फील्ड अधिकारियों से कहा है कि वह जीएसटी और सीमा शुल्क रिफंड मांगने वाली कंपनियों से कागजी दस्तावेज मांगने पर जोर नहीं दें.
- 3 मई तक के लिए लॉकडाउन को बढ़ाया गया है
- जीएसटी रिफंड पर सरकार की ओर से मिली राहत
लॉकडाउन की वजह से देशभर में जनजीवन ठप पड़ा है. लोगों के अधिकतर कामकाज डिजिटल माध्यम से हो रहे हैं. इस बीच, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अपने फील्ड अधिकारियों को एक बड़ा आदेश दिया है. इसके तहत अधिकारियों से कहा गया है कि वे जीएसटी और सीमा शुल्क रिफंड लेने वाली कंपनियों से कागजी दस्तावेज मांगने पर जोर नहीं दें. सीबीआईसी ने प्रधान मुख्य आयुक्तों को भेजे एक लेटर में ये बात कही है.
करदाताओं को मिलेगी राहत
इस लेटर में कहा गया है कि फील्ड अधिकारियों द्वारा सभी तरह के मैसेज का आदान-प्रदान आधिकारिक ईमेल आईडी का इस्तेमाल करते हुए किया जाना चाहिए. लेटर के मुताबिक, ‘‘रिफंड की प्रक्रिया में किसी तरह के कागजी दस्तावेजों को भौतिक रूप से सौंपे जाने के बारे में नहीं कहा गया है, इस तरह के किसी भी व्यवहार से बचा जाना चाहिए.’’ सीबीआईसी ने कहा है कि यह निर्णय मौजूदा कठिन समय को देखते हुए करदाताओं को जल्द राहत देने के उद्देश्य से लिया गया है.
बता दें कि वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह अप्रत्यक्ष कर, जीएसटी और सीमा शुल्क संबंधी सभी तरह के लंबित रिफंड जारी करने का फैसला लिया था. इस निर्णय से एमएसएमई सहित करीब एक लाख उद्यमियों को फायदा पहुंचेगा. इसके तहत कुल 18,000 करोड़ रुपये का रिफंड जारी होगा. सीबीआईसी ने इस माह 18,000 करोड़ रुपये के लंबित रिफंड और ड्यूटी ड्रा बैक का भुगतान करने के लिए एक ‘विशेष अभियान’ भी शुरू किया है.
हाल ही में सरकार ने तुरंत 5 लाख रुपये तक के टैक्स रिफंड को जारी करने का आदेश दिया है. सरकार के इस फैसले से 14 लाख टैक्सपेयर्स को फायदा होगा, उन्हें तुरंत रिफंड मिलने से नकदी की दिक्कत नहीं होगी. दरअसल नियम के तरह रिफंड में 2 महीने तक का वक्त लग जाता है. क्योंकि टैक्स रिटर्न फाइल होने के बाद आयकर विभाग ई-वेरिफिकेशन करता है, और फिर रिफंड का प्रोसेस शुरू किया जाता है. हालांकि कुछ लोगों को 15 दिनों में भी रिफंड मिल जाता है.