भारत में कोरोना वायरस से अब तक 5734 लोग बीमार हो चुके हैं. जबकि, 166 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में कोरोना वायरस के मामले और मौतों की संख्या वैसे ही बढ़ रही है, जैसे इटली में थी. अंतर सिर्फ समय का. इटली में पिछले महीने यानी मार्च में जैसे-जैसे कोरोना के मामले और मौतों की संख्या बढ़ी, उसी तरह भारत में मामले बढ़ रहे हैं. बस महीना अप्रैल का है.
दुनियाभर में कोरोना वायरस के आंकड़ों की जांच करने वाली वेबसाइट वर्ल्डमीटर के अनुसार भारत में 1 अप्रैल तक 1998 केस आए थे. मौतें हुई थी 58. जबकि, 1 मार्च से इटली का ग्राफ देखें तो पता चलता है कि वहां 1577 मामले सामने आए थे. मौतें हुई थीं 41.
सात अप्रैल तक भारत में कोरोना के कुल 5916 मामले सामने आए थे. जबकि मौतें हुई थीं 160. ठीक इसी तरह सात मार्च को इटली में कोरोना के कुल 5883 मामले सामने आए थे. इसी तारीख तक इटली में कुल 233 मौतें हुई थीं.
इटली और भारत में हर दिन सामने आने वाले मामलों में ज्यादा अंतर नहीं है. इटली में 1 मार्च को 573 मामले सामने आए थे. भारत में 1 अप्रैल को 601 मामले सामने आए थे.
भारत में 1 अप्रैल को 58 लोगों की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई थी. जबकि, इटली में 1 मार्च को 41 लोगों की मौत हुई थी. दोनों देशों के आंकड़ों में समानताएं ज्यादा हैं. संख्या थोड़ी अलग जरूरी है. लेकिन बीमारी की तीव्रता लगभग बराबर है.
हम आपको रिकवरी की स्थिति भी बताते हैं. इटली में 1 मार्च को कोरोना वायरस से 33 लोग रिकवर हुए थे. जबकि, भारत में 1 अप्रैल को 25 लोगों की. इटली में 7 मार्च को रिकवरी की संख्या 66 थी और भारत में 7 अप्रैल को 93 लोगों ने बीमारी से रिकवर किया.
सवाल ये उठता है कि भारत में ये केस कम क्यों हैं. इसके पीछे एक्सपर्ट तीन कारण बताते हैं. पहला यहां पर कोरोना की जांच कम हो रही है. दूसरा, लॉकडाउन जल्द लागू करना. तीसरा बताया जा रहा है भारतीय लोगों को लगाए गए बीसीजी के टीके.
देश की आबादी करीब 130 करोड़ है. लेकिन जिस तरह से जांच की जा रही है. वह पर्याप्त नहीं है. भारत में 6 अप्रैल तक 85 हजार टेस्ट ही हुए थे. यानी भारत में अभी एक लाख की आबादी पर 6.5 टेस्ट ही हो रहे हैं. जांच कम होने से कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या का सही अंदाजा नहीं लग पा रहा है.
WHO का कहना है कि भारत ने सही समय पर लॉकडाउन लागू कर दिया. इसलिए भारत अभी तक कोरोना वायरस के दूसरे और तीसरे स्टेज के बीच में है. भारत में कोरोना वायरस की रफ्तार चीन, अमेरिका या यूरोपीय देशों की तुलना में कम है.
WHO का कहना है कि भारत ने सही समय पर लॉकडाउन लागू कर दिया. इसलिए भारत अभी तक कोरोना वायरस के दूसरे और तीसरे स्टेज के बीच में है. भारत में कोरोना वायरस की रफ्तार चीन, अमेरिका या यूरोपीय देशों की तुलना में कम है.
बीसीजी का टीका बचा रहा है भारतीय लोगों को. ये माना गया है कि भारत समेत दुनिया के जिन देशों में लंबे समय से बीसीजी का टीका लगाया जा रहा है. वहां कोरोना वायरस का खतरा कम है. इस बात को तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) भी मानता है.
भारत में 72 साल से बीसीजी का टीका लोगों को लगाया जा रहा है. अमेरिका और इटली जैसे देशों में बीसीजी का टीका लगाने की पॉलिसी नहीं है. इसलिए वहां कोरोना के मामले भी ज्यादा आ रहे हैं. मौतें भी ज्यादा हो रही हैं.
बीसीजी का पूरा नाम है, बेसिलस कामेट गुएरिन. यह टीबी और सांस से जुड़ी बीमारियों को रोकने वाला टीका है. बीसीजी को जन्म के बाद से छह महीने के बीच लगाया जाता है.
मेडिकल साइंस की नजर में बीसीजी का वैक्सीन बैक्टीरिया से मुकाबले के लिए रोग प्रतिरोधक शक्ति देता है. इससे शरीर को इम्यूनिटी मिलती है, जिससे वह जीवाणुओं का हमला झेल पाता है. हालांकि, कोरोना एक वायरस है, न कि बैक्टीरिया.