दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अमेरिका, स्पेन, इटली, फ्रांस और ब्रिटेन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोनावायरस की वैक्सीन ढूंढने में अभी एक से डेढ़ साल का वक्त लग सकता है। हालांकि, रिसर्चर जल्द से जल्द दुनिया को इस समस्या से मुक्ति दिलाना चाहते हैं। एक हालिया रिसर्च में कहा गया है कि दुनियाभर में मौजूद एंटी पैरासाइटिक ड्रग्स से सेल कल्चर में पैदा किए गए कोरोनावायरस को 48 घंटे के अंदर खत्म किया जा सकता है। इस खोज के बाद रिसर्चरों को कोरोना की दवा बनाने में नई दिशा मिली है।
दुनिया की जान-मानी रिसर्च जर्नल एंटीवायरस रिसर्च में छपी एक स्टडी के मुताबिक, आइवरमेक्टिन (Ivermectin) ड्रग ने लैब में पैदा किए गए कोविड-19 वायरस को खत्म कर दिया। स्टडी में शामिल रहीं ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी की काइली वैगस्टाफ के मुताबिक, हमने पता लगाया है कि आइवरमेक्टिन का सिंगल डोज भी इस आरएनए (RNA) वायरस को 48 घंटे में खत्म कर सकता है। यहां तक की 24 घंटे में इस दवा से कोरोना को कम किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, आइवरमेक्टिन को दुनियाभर की सरकारों की तरफ से मान्यता मिली है। इसे दूसरे किस्म के वायरसों (जैसे- एचआईवी, डेंगू और इन्फ्लुएंजा और जीका) के खिलाफ भी प्रभावी ढंग से काम करने के लिए जाना जाता है। हालांकि, वैगस्टाफ का कहना है कि यह टेस्ट अभी सिर्फ लैब में किए गए हैं और इनका इंसानी ट्रायल अभी बाकी है। उन्होंने बतााय कि आइवरमेक्टिन एक सुरक्षित ड्रग के तौर पर हर जगह इस्तेमाल किया जाता है। हमें अभी पता लगाना है कि इसकी डोज कोरोना से संक्रमित लोगों पर प्रभावी होती है या नहीं।
रॉयल मेलबर्न हॉस्पिटल की लियोन कैली का कहना है कि एक वायरोलॉजिस्ट के तौर पर हम उस टीम का हिस्सा रहे हैं, जिसने चीन के बाहर कोरोनावायरस की स्ट्रेन को सबसे पहले आइसोलेट किया। मैं आइवरमेक्टिन को कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल किए जाने की संभावनाओं पर काफी रोमांचित हूं। हालांकि, इसका इस्तेमाल प्री क्लिनिकल टेस्टिंग और ट्रायल पर ही निर्भर करेगा।