नई दिल्ली. दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को रोकने के लिए अपनाए गए जटिल से जटिल और कठोर से कठोर कदम के बाद COVID- 19 के मामलों को फैलने से रोकने में सिर्फ थोड़ी सी सफलता मिली है. अंतत: बीमारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक महामारी (Pandemic) घोषित करने के साथ ही पूरी दुनिया की आंखें इसके टीके की ओर लग गई हैं क्योंकि एक टीका ही वह इलाज हो सकता है, जिससे बीमार पड़ने से बचा जा सके.
करीब 35 कंपनियां और एकेडमिक संस्थाएं ऐसी एक वैक्सीन (Vaccine) बनाने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. कम से कम चार तो इन टीकों का पहले ही जानवरों पर परीक्षण भी कर चुकी हैं. इनमें सबसे पहले यह काम बोस्टन बेस्ट बायोटेक कंपनी मोडेर्ना (Moderna) ने किया था, जो अप्रैल से इनका परीक्षण इंसानों पर करने वाली है.
कोरोना के प्रोटोटाइप पर कंपनियों ने किया काम
यह अभूतपूर्व गति इसलिए आ सकी है क्योंकि सार्स-CoV-2 के जेनेटिक पदार्थ की शुरुआती जांच चीन ने कर ली थी. यह वह वायरस है जो कोरोना वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार होता है. चीन ने इस जांच को जनवरी की शुरुआत में ही दुनिया के साथ शेयर कर दिया था, इसने पूरी दुनिया में रिसर्च समूहों को जिंदा वायरस को बढ़ाने और यह अध्ययन करने कि यह कैसे इंसानी कोशिकाओं में घुसता है और लोगों को बीमार करता है, यह बताने में मदद करता है.
लेकिन इसका टीका बनाने में मिली शुरुआती बढ़त की एक वजह और बताई गई है. हालांकि किसी ने भी इसकी भविष्यवाणी नहीं की थी कि दुनिया को सांसत में डालने वाली अगली बीमारी कोरोना वायरस के जरिए फैलेगी. लेकिन फ्लू को हमेशा ऐसा पूरी दुनिया में महामारी बन फैलने वाली सबसे खतरनाक बीमारी माना जाता था. ऐसे में टीका बनाने वाले इसके (वायरस के) प्रोटोटाइप (Prototype) पर हाथ आजमाते रहे हैं. जिससे उसी तरह के दूसरे कोरोना वायरस के लिए टीका बनाने में मदद मिली.
सार्स और मर्स दोनों का नहीं बना था टीका और बीमारी पर हो गया था काबू
कोरोना वायरस के चलते ही हालिया दो बड़ी महामारियां भी फैली थीं- 2002-04 में चीन में फैला सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Sars) और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Mers), जो कि 2012 में सऊदी अरब में फैला था. दोनों ही मामलों में, टीकों पर काम शुरू हो गया था और बाद में इसे रोक दिया गया था, जब इसका प्रकोप rsखत्म हो गया.
कोरोना वायरस (Coronavirus) के टीके के मामले में मेरीलैंड में बसी एक कंपनी नोवावैक्स ने कहा है कि इसके टीके के परीक्षण के लिए कई सारे इंसानों ने इच्छा जताई थी.